Manisha Dhanwani
26 Oct 2025
Manisha Dhanwani
26 Oct 2025
Shivani Gupta
25 Oct 2025
नई दिल्ली। भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code - UCC) को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि संविधान ने इसकी परिकल्पना की है और अब 75 वर्षों बाद इसे साकार करने का समय आ गया है।
साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस दिशा में कोई भी कदम देश के सभी जातियों, वर्गों और समुदायों को विश्वास में लेकर ही उठाया जाना चाहिए। यह बयान उन्होंने कांग्रेस सांसद शशि थरूर की नई किताब 'आवर लिविंग कान्सटीट्यूशन' के विमोचन कार्यक्रम के दौरान दिया।
पूर्व CJI ने कहा कि भारतीय संविधान देश को स्थिरता प्रदान करने वाली सबसे बड़ी ताकत है। उन्होंने कहा, यह संविधान विभिन्न समुदायों, धर्मों, क्षेत्रों और संस्कृतियों को एक सूत्र में बांधकर भारत को एक राष्ट्र के रूप में परिभाषित करता है। उन्होंने संविधान की स्थिरता और लचीलापन को भारत के लोकतंत्र की रीढ़ बताया।
विपक्ष की ओर से बार-बार संविधान और संवैधानिक संस्थाओं पर खतरे की चिंता जताई जाती रही है। इस पर चंद्रचूड़ ने कहा कि संविधान हमेशा के लिए है। बीते 75 सालों में देश ने शासन, महामारी और कई आंतरिक-बाहरी संकटों का सामना किया, लेकिन संविधान हर परिस्थिति में देश को स्थिरता देने में सक्षम रहा।
इससे पहले 11 जुलाई को भी पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने 'एक देश-एक चुनाव' के मुद्दे पर अपनी राय दी थी। उन्होंने कहा था कि लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराना संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं है, लेकिन इसके लिए चुनाव आयोग (ECI) को जो अतिरिक्त शक्तियां दी जा रही हैं, उस पर गंभीर पुनर्विचार की जरूरत है। उन्होंने आशंका जताई कि प्रस्तावित कानून चुनाव आयोग को राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल घटाने या बढ़ाने का अधिकार दे सकता है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर प्रभाव डाल सकता है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में राज्य के नीति निदेशक तत्वों में समान नागरिक संहिता का उल्लेख है, जिसमें कहा गया है कि राज्य नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा। हालांकि इस विषय पर अब तक व्यापक सहमति नहीं बन सकी है। पूर्व CJI के इस बयान से संभव है कि इस बहस को एक नई दिशा मिलेगी।