Manisha Dhanwani
1 Nov 2025
जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्यभर में आवारा कुत्तों और अन्य पशुओं के बढ़ते खतरे पर स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार और निकायों को सख्त निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने साफ किया कि नागरिकों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करना नगर निगमों, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और संबंधित एजेंसियों का कानूनी दायित्व है।
इसके तहत आवारा पशुओं को हटाने, आश्रय स्थलों की व्यवस्था सुधारने और हेल्पलाइन शुरू करने जैसे कई कदम तत्काल उठाने के आदेश दिए गए हैं। राजस्थान हाईकोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 8 सितंबर की तारीख तय की है।
जस्टिस कुलदीप माथुर और जस्टिस रवि चिरानिया की खंडपीठ के समक्ष न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. सचिन आचार्य, अधिवक्ता प्रियंका बोराना और अधिवक्ता हेली पाठक ने पक्ष रखा। न्यायमित्र ने बताया कि आवारा पशुओं के हमले और काटने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, जिससे आम नागरिकों की सुरक्षा खतरे में है और पर्यटन की छवि भी प्रभावित हो रही है।
एम्स जोधपुर द्वारा 10 अगस्त को न्यायमित्र अधिवक्ता प्रियंका बोराना को भेजे गए पत्र में अस्पताल परिसर में आवारा कुत्तों की समस्या और मरीजों व स्टाफ पर हमलों का जिक्र किया गया था। अदालत ने इस पत्र को संज्ञान में लेते हुए गंभीर चिंता व्यक्त की।
कोर्ट ने सभी नगर निगमों को अगली सुनवाई तक डॉग शेल्टर और गौशालाओं की वर्तमान स्थिति की विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया। साथ ही पशु पकड़ने वाले दल, डॉक्टरों और अन्य स्टाफ का पूरा ब्योरा कोर्ट को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। अदालत ने शहर की सड़कों से आवारा कुत्तों और अन्य पशुओं को हटाने के लिए विशेष अभियान चलाने का आदेश दिया और यह भी स्पष्ट किया कि इस कार्य में बाधा डालने वालों पर संबंधित कानून के तहत एफआईआर दर्ज की जाएगी।
प्रत्येक नगर निगम को हेल्पलाइन नंबर और ईमेल आईडी जारी कर शिकायत निवारण तंत्र विकसित करने के लिए कहा गया है। आवारा पशुओं को भोजन देने की अनुमति केवल निगम संचालित शेल्टर या गौशालाओं में ही होगी। संवेदनशील स्थानों, जैसे एम्स जोधपुर और जिला न्यायालय परिसर से तत्काल आवारा पशुओं को हटाने के निर्देश दिए गए हैं। राष्ट्रीय और राज्य राजमार्ग प्राधिकरण को हाइवे पर नियमित गश्त कर आवारा पशुओं को हटाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही आवारा कुत्तों की समस्या को “बेहद गंभीर” बता चुका है। शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार और नगर निकायों को आदेश दिया था कि सभी इलाकों से आवारा कुत्तों को जल्द से जल्द हटाकर उन्हें आश्रय स्थलों में रखा जाए। साथ ही, इस अभियान में बाधा डालने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई थी।