Naresh Bhagoria
22 Nov 2025
मुंबई। घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण कंपनियां इन दिनों प्राइवेट इक्विटी (पीई) और वेंचर कैपिटल (वीसी) निवेशकों के लिए नया आकर्षण बन गई हैं। ये निवेशक उन कंपनियों को तलाश रहे हैं जो आने वाले वर्षों में मल्टीबैगर साबित हो सकती हैं। मल्टीपल्स अल्टरनेट एसेट मैनेजमेंट, टीए एसोसिएट्स, मोतीलाल ओसवाल, अपोलो ग्लोबल और रिलायंस कैपिटल जैसे बड़े निवेश फंड ऐसे अवसरों की खोज कर रहे हैं। जिन कंपनियों पर इनकी नजर है, उनमें जेटवर्क, एम्बर एंटरप्राइजेज और सिरमा एसजीएस शामिल हैं, जिन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम (ईसीएमएस) की 30 सितंबर की आवेदन समयसीमा से पहले कई संयुक्त उद्यम और अधिग्रहण की घोषणाएं की हैं। डिक्सन टेक्नोलॉजीज जैसी कंपनियों की सफलता ने निवेशकों का भरोसा बढ़ाया है। डिक्सन ने जून तिमाही में अपना शुद्ध मुनाफा दोगुना कर 280 करोड़ रुपए तक पहुंचा दिया, जबकि इसकी आय 95 फीसदी बढ़कर 12,838 करोड़ रुपए रही। कंपनी का मौजूदा मार्केट कैपिटलाइजेशन करीब 96,491 करोड़ रुपए है। पहले प्राइवेट इक्विटी निवेशक विनिर्माण क्षेत्र में कम दिलचस्पी लेते थे, लेकिन अब यह सेक्टर सरकारी प्रोत्साहन और तेजी से बढ़ती मांग के कारण उनके लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है।
इलेक्ट्रानिक्स सेक्टर में घरेलू स्तर पर विनिर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं। इसके अलावा देश के इलेक्ट्रानिक्स के हब के रूप में उभरने से स्थानीय स्तर पर कंपोनेंट विनिर्माण को प्रोत्साहन मिला है। भगवती प्रोडक्ट्स (माइक्रोमैक्स ग्रुप की कंपनी) के सह-संस्थापक राहुल शर्मा ने कहा उनकी कंपनी अपने आने वाले संयुक्त उपक्रम और अधिग्रहण आंतरिक संसाधनों से करेगी, जिसमें डिस्प्ले असेंबली और मैकेनिकल इनक्लोजर जैसे कंपोनेंट्स का निर्माण शामिल है। जेटवर्क के अध्यक्ष जोश फोल्गर ने बताया कि वे मुंबई और दिल्ली में निवेशकों से मुलाकात कर रहे हैं और इस सेक्टर में काफी उत्साह है। सरकारी नीतियां जैसे ईसीएमएस निवेश के लिए सुरक्षात्मक ढांचा बना रही हैं, जिससे निवेशकों को भरोसा मिल रहा है। जेटवर्क ने पहले ही 1,000 करोड़ रुपए का निवेश इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट निर्माण में विस्तार के लिए किया है, जिसमें प्रिंटेड सर्किट बोर्ड, विशेष सेंसर, कनेक्टर और मशीनरी शामिल हैं। फोल्गर का कहना है कि ढए फर्म सिर्फ पूंजी ही नहीं लातीं, बल्कि अपने रिसर्च नेटवर्क, ग्राहकों से जोड़ने की क्षमता और रणनीतिक मार्गदर्शन भी देती हैं।
दूसरी ओर, सिरमा और एम्बर जैसी कंपनियां अपने विस्तार के लिए क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (क्यूआईपी) के जरिए पूंजी जुटा रही हैं। एम्बर 4,200 करोड़ रुपए पूंजीगत व्यय और 700-800 करोड़ रुपए अधिग्रहण के लिए जुटाने की योजना बना रही है, जबकि एजीएम में 2,500 करोड़ रुपए का क्यूआईपी का प्रस्ताव पारित किया गया है। एम्बर के चेयरमैन जसबीर सिंह ने कहा कि बड़े निवेशक इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण कंपनियों को ग्रोथ कैपिटल देने में रुचि दिखा रहे हैं, क्योंकि आने वाले सालों में इनके पब्लिक होने पर निवेशकों को अच्छे रिटर्न मिलने की संभावना है। सिरमा ने भी 1,000 करोड़ रुपए की क्यूआईपी के लिए बोर्ड की मंजूरी ले ली है, जो अधिग्रहण और नए प्लांट्स में निवेश के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। कुल मिलाकर, सरकारी प्रोत्साहन, तेजी से बढ़ती मांग और पिछली सफल लिस्टिंग्स ने इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को ऐसा क्षेत्र बना दिया है, जिसमें पीई और वीसी निवेशक अगले बड़े मुनाफे की तलाश में आक्रामक रूप से निवेश कर रहे हैं।