Naresh Bhagoria
22 Nov 2025
पल्लवी वाघेला, भोपाल। शादी के पहले सामने वाले पक्ष की पूरी जांच-पड़ताल और इसके लिए डिटेक्टिव एजेंसी का चलन नया नहीं है। हां, अब नया ट्रेंड कुछ अलग संकेत दे रहा है। इस साल सामने आए राजा-सोनम और अन्य राज्यों के इसी तरह के केसेस के चलते पैरेंटस घबराए हुए हैं। उन्हें डर है कि कहीं अपना ही सिक्का खोटा न निकले, इसलिए वे बच्चों की पड़ताल करा रहे हैं। न केवल शादी लायक बच्चे बल्कि टीनएज बच्चों में भी लव एंगल, सेक्सुअल प्रिफरेंस, संगत और अन्य आदतों की पड़ताल के लिए डिजिटल ऐप के साथ ही डिटेक्टिव को भी हायर कर रहे हैं। डिटेक्टिव एजेंसीज के अनुसार, पांच साल पहले पैरेंटल इंवेस्टिगेशन के केसेस कुल केस में से केवल दो फीसदी थे, कोविड के बाद यह 22 फीसदी और वर्तमान में 43 परसेंट तक पहुंच गए हैं।
इंदौर में छह माह की सगाई के बीच बेटी के जीवन में किसी अन्य लड़के की जानकारी लगने पर माता-पिता ने उसकी जासूसी करवाई। पुष्टि होने पर सामने वाले लड़के की जासूसी कराई। इसके बाद पूरी फैक्ट फाइल के साथ बेटी से बात की, काउंसलिंग भी कराई। बेटी को स्पष्ट कहा कि दिसंबर में शादी है, अभी सोच-समझकर फैसला लेना। मामले में बॉयफ्रेंड की हकीकत जानने के बाद युवती ने नाता तोड़ लिया।
शिवपुरी में 17 वर्षीय बेटे के व्यवहार पर संदेह के चलते माता-पिता ने जासूसी कराई तो पता चला कि बेटा सेम जेंडर के प्रति आकर्षित है। मामले में डिटेक्टिव एजेंसी की सलाह पर माता-पिता ने बच्चे के साथ ही खुद की काउंसलिंग ली। उनका मानना है कि वह बच्चे को सपोर्ट करेंगे ताकि प्रेशर में आकर उसकी और किसी ओर की जिंदगी प्रभावित न हो।
uMobix : इस ऐप में कई सुविधाएं मिलती हैं। इसमें रीयल-टाइम जीपीएस ट्रैकिंग, स्क्रीन टाइम कंट्रोल, ऐप ब्लॉकिंग और टेक्स्ट मैसेज मॉनिटरिंग जैसी सुविधा मिल सकती है।
EyZy : यह ऐप टेक्स्ट मैसेज मॉनिटरिंग, ब्राउजर हिस्ट्री ट्रैकिंग, ऐप ब्लॉकिंग और लोकेशन ट्रैकिंग देता है।
Bark : ये ऐप मैसेज फिल्टर की तरह काम करता है। इसमें अलग-अलग ऐप्स से आने वाले टेक्स्ट और मैसेज में साइबर बुलिंग और ड्रग के उपयोग जैसे संभावित जोखिमों का पता लगाने के लिए एआई का उपयोग होता है।
mSpy : यह ऐप टेक्स्ट (हटाए गए वाले सहित), सोशल मीडिया एक्टिविटी और वेब ब्राउजिंग पर नजर रखता है। इसके अलावा इस ऐप में जियो-फेंस और स्क्रीन टाइम लिमिट की भी सुविधा मिलती है।