Naresh Bhagoria
8 Nov 2025
Shivani Gupta
8 Nov 2025
Naresh Bhagoria
8 Nov 2025
Naresh Bhagoria
8 Nov 2025
अशोक गौतम, भोपाल। अभी तक प्रदेश में बड़े नगरीय निकाय ही कचरा का अपशिष्ट प्रबंधन कर उसका उपयोग कर रहे थे। कोई इससे खाद बना रहा था तो कोई बिजली...। पर अब हर नगरीय निकाय को कचरे का प्रबंधन करना होगा। इसके लिए पांच से 7 छोटे निकाय मिलकर क्लस्टर बना सकते हैं। अभी प्रदेश में करीब सात हजार टन कचरा प्रतिदिन निकल रहा है।
इंदौर शहर में सब्जी मंडी से निकलने वाले 20 टन गीले कचरे और कबीटखेड़ी से 15 टन प्रतिदिन बायो गैस निर्माण की इकाई लगाई गई है। इन इकाइयों में पीपीपी मोड पर करीब 15 करोड़ का निवेश किया है। देवगुराड़िया में 550 मीट्रिक टन क्षमता के प्लांट में बायो सीएनजी का निर्माण हो रहा है। यहां से 17 हजार किलो बायो सीएनजी बन रही है।
राजधानी के आदमपुर क्षेत्र में 400 मीट्रिक टन प्रतिदिन क्षमता की बायो सीएनजी इकाई बन रही है। पीपीपी मोड पर 120 करोड़ रुपए से यह संयंत्र तैयार हो रहा है। भोपाल नगर निगम ने इन्वायरो प्राइवेट लिमिटेड संस्था से अनुबंध किया गया है।
ग्वालियर नगर निगम क्षेत्र में गोबर से बायो गैस बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। कुछ गोशालाओं से अनुबंध भी किया गया है। इसके लिए 100 टन प्रतिदिन क्षमता की इकाई गोशाला के पास ही बनाई गई है। एक बायो गैस संयंत्र स्थापित किया जा रहा है।
कचरे का उपयोग करने में जबलपुर सबसे आगे है। यहां पर कचरे का उपयोग करने सबसे पहले बिजली का प्लांट बनाया गया। अब में 600 टन प्रतिदिन क्षमता की वेस्ट टू एनर्जी इकाई स्थापित की गई है।
क्लस्टर आधार पर मुरैना, बुरहानपुर, खण्डवा, देवास, रतलाम और उज्जैन में स्टेण्डअलोन योजना के अतर्गत गीले कचरे से बायो गैस बनाने के लिए लघु परियोजना के क्रियान्वयन की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं।