Manisha Dhanwani
8 Dec 2025
नई दिल्ली। भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो इन दिनों लगातार IndiGo Crisis की वजह से चर्चा में है। फ्लाइट कैंसिलेशन, देरी और शेड्यूल बिगाड़ने के बीच यह सवाल उठ रहा है कि, आखिर ऐसा क्या हुआ जिसने इंडिगो को इस हालत में पहुंचा दिया? सोशल मीडिया पर वायरल एक ओपन लेटर ने इस IndiGo Crisis को नई दिशा दे दी है। इस लेटर में एक पूर्व कर्मचारी ने कंपनी के अंदर सालों से बढ़ती समस्याओं, उपेक्षा और कर्मचारियों पर पड़ रहे दबाव की पूरी कहानी उजागर की है।
पूर्व कर्मचारी के अनुसार, 2006 में जब इंडिगो शुरू हुई थी, तब टीमवर्क और मेहनत इसकी सबसे बड़ी ताकत थी। लोग अपने काम पर गर्व करते थे। लेकिन समय के साथ यह गर्व धीरे-धीरे अहंकार और लालच में बदलता चला गया। कर्मचारी ने आरोप लगाया कि कंपनी में एक सोच पनपी “हम इतने बड़े हैं कि कभी फेल नहीं हो सकते।” यही सोच एयरलाइन के अंदरूनी सिस्टम को भीतर ही भीतर खोखला करती चली गई।
वायरल लेटर में दावा किया गया है कि, इंडिगो की पूरी ग्रोथ कर्मचारियों की भलाई और सुरक्षा की कीमत पर हासिल की गई। ग्राउंड स्टाफ को 16-18 हजार की तनख्वाह में तीन लोगों का काम करना पड़ता था। पायलट और इंजीनियरों की थकान, सुरक्षा और ड्यूटी-घंटों की शिकायतों को नजरअंदाज किया गया। कई मामलों में सीनियर मैनेजमेंट की ओर से टीम को धमकाया या अपमानित किया गया। केबिन क्रू थकान और तनाव में गैली में बैठकर रोते थे। लेटर में साफ लिखा है- “कोई जवाबदेही नहीं… सिर्फ डर।”
सबसे चौंकाने वाला आरोप ये है कि, एयरलाइन में ऐसे लोग वाइस-प्रेसिडेंट बनाए गए जो एक ईमेल तक ढंग से नहीं लिख पाते थे। कर्मचारी के अनुसार, ऊंचे पद सिर्फ इसलिए दिए गए क्योंकि उन पदों पर ESOPs और पावर मिलते थे। इससे लीडरशिप लेयर तो बढ़ी, लेकिन काबिलियत और सिस्टम दोनों गिरते गए।
कर्मचारी ने बताया कि, इंडिगो ने कुछ रूट्स पर जानबूझकर अधिक फ्लाइट्स चलाईं ताकि अन्य एयरलाइंस को मार्केट में नुकसान पहुंचे। यात्री भले ही समय की पाबंदी से खुश थे, लेकिन पर्दे के पीछे कर्मचारी शारीरिक और मानसिक रूप से टूट रहे थे। इंजीनियरों को एक साथ कई विमानों को संभालना पड़ता था, जिससे ऑपरेशनल सुरक्षा पर भी सवाल उठने लगे।
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लेटर में भारतीय एविएशन रेगुलेटर पर भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं। विदेश जाने वाले पायलटों के लाइसेंस वेरिफिकेशन में जानबूझकर देरी। “अनौपचारिक कीमतों” पर काम तेज करवाने की बातें। कर्मचारियों के पास कोई यूनियन या ठोस प्रतिनिधित्व न होना। यह सब मिलकर कर्मचारियों की बेबसी और बढ़ाता गया।
पूर्व कर्मचारी का दावा है कि, जो संकट आज सामने दिख रहा है, वह एक दिन का नहीं, बल्कि वर्षों की उपेक्षा और तनाव का अंतिम परिणाम है। फ्लाइट कैंसिलेशन, ऑपरेशनल गड़बड़ियां और स्टाफ की भारी कमी यह सब कंपनी के अंदर घटते मनोबल और टूट चुके सिस्टम की देन है।
वायरल लेटर पर फिलहाल इंडिगो की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन इस पोस्ट ने यात्रियों, एक्सपर्ट्स और एविएशन इंडस्ट्री में बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। कई यात्रियों ने भी कहा कि, उनके हाल के अनुभव इस लेटर में लिखी बातों से मेल खाते हैं।
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