नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव- 2024 की तैयारी को लेकर चुनाव आयोग एक्शन मोड में आ गया है। आयोग ने आने वाले दिनों में उम्मीदवारों के खर्चे को लेकर सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से चुनाव में इस्तेमाल होने वाले सामानों के रेट मांगे हैं। लोकसभा चुनाव लड़ने वाले सभी प्रत्याशियों को इस रेट के हिसाब से ही अपने खर्चे का पूरा हिसाब चुनाव आयोग को रोजाना भेजना होगा। प्रत्याशी क्या खा रहें हैं, कार्यकर्ताओं को क्या खिला रहे हैं, झंडे और डंडे पर कितना खर्च कर रहे हैं, कार्यकर्ताओं को पानी की बोतलें कितनी पिलाईं, खुद कितनी पी, चाय-समोसा पर कितना खर्च किया इन सभी का हिसाब चुनाव आयोग को देना होगा।
उम्मीदवार मनमानी तरीके से बिल नहीं बना सकते हैं। बता दें कि चुनाव आयोग पूर्व के चुनावों में भी उम्मीदवारों के लिए इस तरह की लिस्ट जारी करती रही है। इसमें उम्मीदवारों के खर्चे का हिसाब भी रखा जाता है। ऐसे में उम्मीदवारों को संभलकर खर्चा करना पड़ता है। अगर कोई प्रत्याशी या पार्टी कार्यकर्ताओं को चाय-पानी पिलाता है तो यह खर्चा भी चुनावी खर्चे में जुड़ जाएगा। इसके तहत पार्टी के झंडे, बैनर, पोस्टर और डंडे तक का शुल्क शामिल है।
बता दें कि साल 2022 में चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनावों में उम्मीदवारों की खर्च सीमा 70 लाख से बढ़ाकर 95 लाख कर दिया था और विधानसभा चुनावों के लिए यह सीमा 28 लाख से बढ़ाकर 40 लाख कर दिया था। लोकसभा चुनाव को देखते हुए इस बार भी डीजल-पेट्रोल सहित कई सामानों के रेट तय होंगे।
इस बार भी कोरोना गाइडलाइन का पालन करने के लिए उपयोगी सामान को चुनावी खर्चे में जोड़ा जाएगा। इसके साथ इस बार भी कोरोना गाइडलाइंस का कुछ हद तक पालन करना होगा। इसके लिए फेस मास्क, दस्ताना, सेनेटाइजर की बोतलें एमआरपी की तय दर से हिसाब देना होगा।
देश के सभी जिलों के डीएम एक रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं, जिसके तहत चुनाव प्रचार के दौरान सामग्रियों के दाम तय रहेंगे। रिटर्निंग ऑफिसर नजर रखेंगे कि इसमें कोई ऐसा सामान तो नहीं है, जिसे उम्मीदवार उपयोग तो करता है, लेकिन खर्चे में नहीं जोड़ता है। ऐसी गड़बड़ियां अगर सामने आती हैं तो उम्मीवार की उम्मीदवारी भी रद्द हो जाएगी।