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काठमांडू। नेपाल सरकार द्वारा फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, ट्विटर समेत कई बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगाए जाने के फैसले ने देशभर में विरोध-प्रदर्शन की आग भड़का दी है। राजधानी काठमांडू की सड़कों पर हजारों की संख्या में Gen-Z लड़के और लड़कियां सड़कों पर उतर आए, जिन्होंने सरकार के इस कदम को अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला करार दिया।
प्रदर्शन में तनाव इतना बढ़ गया कि पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच जमकर झड़पें हुईं। इसमें 16 की मौत हो गई और करीब 80 लोग घायल हो गए। हालात को संभालने के लिए सेना को भी तैनात करना पड़ा। इस आंदोलन की अगुवाई खास तौर पर 18 से 30 वर्ष की उम्र के युवाओं ने की है, जिसे अब नेपाल का सबसे बड़ा युवा आंदोलन बताया जा रहा है। इसके मद्देनजर काठमांडू में कर्फ्यू लगा दिया गया है। सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।

नेपाल सरकार ने पिछले सप्ताह सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत रजिस्ट्रेशन ना करने के कारण फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, एक्स (पूर्व ट्विटर), लिंक्डइन, स्नैपचैट, रेडिट, डिस्कॉर्ड, टेलीग्राम सहित कई प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगा दिया। मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि कंपनियों को 7 दिन का समय (28 अगस्त से) दिया गया था ताकि वे नेपाल में रजिस्टर हो सकें, लेकिन कोई भी ग्लोबल कंपनी इस डेडलाइन को पूरा नहीं कर सकी। इसके बाद नेपाल टेलीकम्युनिकेशन अथॉरिटी को निर्देशित किया गया कि आधी रात से सभी अनरजिस्टर्ड प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक कर दिया जाए। टिक-टॉक, वाइबर, और कुछ स्थानीय ऐप्स को रजिस्ट्रेशन के बाद चलने की अनुमति दी गई है।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सोशल मीडिया पर बैन तो केवल ट्रिगर था। असली विरोध भ्रष्टाचार, सरकारी नाकामी और नेताओं की जवाबदेही न होने के खिलाफ है। प्रदर्शन में शामिल छात्र युजन राजभंडारी ने कहा, 'हम सिर्फ सोशल मीडिया बैन के विरोध में नहीं हैं, बल्कि उस भ्रष्टाचार और तानाशाही रवैये के खिलाफ भी हैं जो हमारे सिस्टम में घुस चुका है।' छात्रा इक्षमा तुमरोक ने कहा, 'हम बदलाव चाहते हैं। पहले की पीढ़ियां चुप रही, लेकिन यह अब हमारी पीढ़ी के साथ खत्म होना चाहिए।'
प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन में घुसने का प्रयास भी किया। सरकार ने राजधानी में कर्फ्यू लागू कर रात 10 बजे तक सेना की तैनाती की। संसद भवन, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री आवास के बाहर सुरक्षा कड़ी कर दी गई। इस हिंसक प्रदर्शन में 16 युवक की मौत हो गई जबकि करीब 80 लोग घायल हो गए।
नेपाल में हाल ही में फेसबुक ने क्रिएटर्स के लिए मनेटाइज़ेशन प्रोग्राम शुरू किया था। हजारों युवा इससे आर्थिक लाभ उठा रहे थे। बैन के चलते उनकी इनकम ठप हो गई। इससे डिजिटल इकॉनमी को भी भारी झटका लगा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे देश की इंटरनेट और टेलीकॉम इंडस्ट्री को बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा।
पिछले साल 2023 में भी टिक-टॉक को इसी कारण बैन किया गया था। उस वक्त नेपाल की प्रमुख टेलीकॉम कंपनी Ncell को हर महीने करीब 600 करोड़ नेपाली रुपये का नुकसान हुआ था।
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने सोशल मीडिया बैन का बचाव करते हुए कहा कि देश की स्वतंत्रता और संप्रभुता सर्वोच्च है। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी को भी बिना रजिस्ट्रेशन देश में काम करने की इजाजत नहीं दी जाएगी। नेपाल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही यह बैन लागू किया गया है। कोर्ट ने साफ किया था कि कोई भी प्लेटफॉर्म बिना रजिस्ट्रेशन के नेपाल में काम नहीं कर सकता।
सरकार ने नवंबर 2023 से अब तक पांच बार पब्लिक नोटिस और डायरेक्ट लेटर भेजे थे, लेकिन कोई बड़ी कंपनी नियम मानने के लिए आगे नहीं आई।