Manisha Dhanwani
30 Oct 2025
काठमांडू। नेपाल में सोशल मीडिया बैन और सरकार के खिलाफ युवा पीढ़ी का गुस्सा फूट पड़ा है। राजधानी काठमांडू समेत कई शहरों में सोमवार को हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए। संसद भवन में घुसपैठ की कोशिश और हिंसक झड़प के बाद हालात बेकाबू हो गए। सेना की फायरिंग में 14 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई है, जबकि 80 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं।
सोमवार सुबह 12 हजार से अधिक प्रदर्शनकारी संसद भवन परिसर में दाखिल हो गए। उन्होंने गेट नंबर 1 और 2 पर कब्जा कर लिया और नारेबाजी शुरू कर दी। पुलिस ने भीड़ को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया। इसके बाद हालात बिगड़ते देख सेना को बुलाना पड़ा।
नेपाल सरकार ने 3 सितंबर को फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, व्हाट्सएप और ट्विटर (X) समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगाया था। सरकार का तर्क है कि इन कंपनियों ने देश में पंजीकरण नहीं कराया। जबकि युवाओं का कहना है कि यह फैसला उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता छीनने जैसा है।
पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प बढ़ने पर सेना ने गोलियां चलाईं। नेपाल पुलिस की पुष्टि के मुताबिक, अब तक 14 लोगों की मौत हो चुकी है और 80 से ज्यादा घायल हैं। काठमांडू के अलावा पोखरा और इटहरी में भी गोलीबारी की खबर है।
हालात काबू से बाहर होते देख काठमांडू प्रशासन ने संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, उपराष्ट्रपति आवास और प्रधानमंत्री आवास के आसपास कर्फ्यू लगा दिया। प्रशासन ने तोड़फोड़ करने वालों को देखते ही गोली मारने के आदेश जारी किए हैं।
काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह ने इस आंदोलन का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि भले ही वे उम्र सीमा के कारण शामिल नहीं हो सकते, लेकिन युवाओं की आवाज सुनी जानी चाहिए। विदेशों में रह रहे नेपाली युवाओं ने भी सोशल मीडिया पर इस आंदोलन का समर्थन किया है।
युवाओं का कहना है कि नेपाल में भ्रष्टाचार, असमानता और अवसरों की कमी के कारण पढ़े-लिखे लोग देश छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं। पूर्व विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली ने भी कहा कि Gen-Z पीढ़ी के पास अपनी बात रखने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए आवाज उठाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है।
[instagram-reels link="https://www.instagram.com/reel/DOVrtb_CIex/?utm_source=ig_web_copy_link"]