Shivani Gupta
10 Dec 2025
जबलपुर। नर्मदा नदी में लगातार हो रहे अवैध रेत खनन का असर मप्र की राज्य मछली का दर्जा प्राप्त ‘महाशीर’ की आबादी के साथ ही इसके आकार-प्रकार पर भी पड़ रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, करीब 30 साल पहले तक इस मछली की साइज 7 फीट और वजन 35-40 किग्रा तक होता था। अब साइज घटकर डेढ़ से दो फीट और वजह 3-4 तक रह गया है।
महाशीर को टाइगर फिश के नाम से भी जाना जाता है और यह संकटग्रस्त प्रजाति में शामिल है। 2011 में जब सरकार ने इसे राज्य मछली का दर्जा दिया था, तब नर्मदा में पाई जाने वाली कुल मछलियों में इसकी आबादी करीब 20 प्रतिशत थी, जो कि घटकर एक प्रतिशत रह गई है।
फिशरी साइंस कॉलेज, जबलपुर के एक शोधार्थी प्रतीक कुमार तिवारी के अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है। शोधार्थी प्रतीक तिवारी ‘स्टडी ऑन द ब्रीडिंग ग्राउंड ऑफ महाशीर इन नर्मदा रिवर ऑफ जबलपुर डिस्ट्रिक’ विषय पर गाइड डॉ. श्रीपर्णा सक्सेना के निर्देशन में नर्मदा के चार घाटों- गौरीघाट, तिलवारा, लम्हेटा और भेड़ाघाट में शोध कर रहे हैं। प्रतीक ने बताया कि शोध के लिए इन चारों तटों के 25 किमी के क्षेत्र में स्टडी की जा रही है। इस दौरान 25 से अधिक मछुआरों से जानकारी जुटाई गई। है। इसमें यह बात सामने आई है कि इन चारों तटों पर महाशीर अब भी ब्रीडिंग कर रही है, लेकिन उनका साइज और वजन तेजी से कम हो रहा है।
फिशरी कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सोना दुबे बताती हैं, नर्मदा में महाशीर के प्रजनन के लिए ब्रीडिंग ग्राउंड नष्ट हो रहे हैं। साथ ही नदी में मिल रहे अपशिष्टों से पानी प्रदूषित हो गया है। बिना नियंत्रण के मछली पकड़ने, डैम और बैराज से इनकी आवाजाही में बाधा होना इनकी आबादी में गिरावट का मुख्य कारण है। प्राकृतिक रूप से इस मछली के प्रजनन के लिए रेत, छोटे कंकड़, चट्टान और पर्याप्त ऑक्सीजन युक्त पानी जरूरी होता है।
डॉ. श्रीपर्णा सक्सेना के अनुसार, महाशीर के संरक्षण के लिए रिसर्च के साथ ब्रीडिंग प्रोग्राम स्टॉकिंग कार्यक्रम बड़े स्तर पर चलाए जाने चाहिए। स्थानीय संस्थाओं में महाशीर को लेकर जागरुकता और ब्रीडिंग के समय मछली पकड़ने पर सख्ती से रोक लगीनी चाहिए।
[quote name="डॉ. एसके महाजन, डीन फिशरी साइंस कॉलेज, जबलपुर" quote="करीब 30 साल पहले तक महाशीर मछली की लंबाई 7 फीट तक और वजन 35-40 किलो तक होता था। नर्मदा नदी में लगातार अवैध रेत खनन के चलते इनके रहने का प्राकृतिक वातावरण पूरी तरह नष्ट हो गया है। साथ ही इन्हें पर्याप्त भोजन नहीं मिल रहा है। इसके चलते इसकी लंबाई घटकर डेढ़ से 2 फीट और वजन करीब 2 किलो तक आ गया है। अब ये विलुप्ति की कगार पर है।" st="quote" style="2"]
[quote name="धम्मीलाल बर्मन, मछुआरा लम्हेटाघाट, जबलपुर" quote="करीब 20 साल पहले मैं जब मछली पकड़ने जाता था, तो 5 फीट लंबी और 25-39 किलो वजनी महाशीर मिलती थी। अब इसकी उपलब्धता न के बराबर होती जा रही है। जो मछली अभी मिलती है, उसका वजन करीब डेढ से दो किलो और लंबाई घटकर एक से दो फी के बीच रह गई है।" st="quote" style="3"]