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Priyanshi Soni
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मुंबई। मुंबई और महाराष्ट्र के कई हिस्सों में मंगलवार को हुई मूसलाधार वर्षा ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया। हालात इतने बिगड़ गए हैं कि मुंबई की मोनोरेल सेवा तक प्रभावित हो गई है। भारी भीड़ और बरसात के कारण दो अलग-अलग मोनोरेल ट्रेनें अचानक बीच रास्ते में रुक गईं। इन ट्रेनों में फंसे करीब 600 से अधिक यात्रियों को रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर बाहर निकाला गया। पहली घटना में लगभग 442 यात्री उस समय फंस गए जब मोनोरेल ट्रेन मैसूर कॉलोनी और भक्ति पार्क स्टेशन के बीच अचानक रुक गई।
वहीं दूसरी घटना में लगभग 200 यात्री प्रभावित हुए जब एक ट्रेन आचार्य अत्रे और वडाला स्टेशन के बीच अचानक बंद हो गई। दोनों ही घटनाओं के बाद फायर ब्रिगेड और बचाव दल को मौके पर बुलाया गया और यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। वहीं मुंबई में 24 घंटे में लगभग 350 मिलीमीटर बारिश हुई, जिसमें से 200 मिमी सिर्फ छह घंटे में दर्ज की गई। इसी दौरान महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले में बादल फटने जैसी स्थिति बनी, जहां बाढ़ से आठ लोगों की मौत हो गई है, जबकि कई लोग लापता बताए जा रहे हैं। प्रदेश में दो दिनों में मरने वालों की संख्या 14 हो गई है।
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नांदेड़ में वर्षा का यह भीषण दौर किसी क्लाउडबर्स्ट (बादल फटने) जैसा था। इसके बाद मिटी नदी खतरे के निशान से ऊपर बहने लगी, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। प्रशासन ने यहां से लगभग 350 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। एनडीआरएफ की पांच टीमें पूरे दिन शहर में तैनात की गई है्ं। डीप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने भी हालात का जायजा लिया और कहा कि सरकार ने नगर निगम और प्रशासन को पंपिंग की क्षमता और बढ़ाने का निर्देश दिया है। फिलहाल मुंबई में 525 पंप लगातार पानी निकालने का काम कर रहे हैं। इसके साथ ही छह बड़े पंपिंग स्टेशन और दस छोटे स्टेशन भी चौबीसों घंटे सक्रिय रखे गए हैं। शिंदे ने कहा कि यह स्थिति बेहद असामान्य थी, क्योंकि कुछ घंटों में ही रिकॉर्ड तोड़ बारिश हो गई। मोनोरेल की घटना पर एमएमआरडीए (मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डिवेलपमेंट अथॉरिटी) ने बयान जारी किया है। प्रारंभिक जांच में पाया गया है कि भारी भीड़ और ओवरलोडिंग की वजह से मोनोरेल का क्षमता से ज्यादा वजन हो गया।
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सामान्य तौर पर मोनोरेल का डिजाइन 104 मीट्रिक टन भार उठाने के लिहाज से किया जाता है, लेकिन बारिश के कारण अन्य परिवहन साधनों के ठप होने से मोनोरेल में भीड़ अचानक बढ़ गई और ट्रेन का वजन 109 मीट्रिक टन तक पहुंच गया। इस ओवरलोडिंग के कारण पावर रेल और करंट कलेक्टर के बीच का मैकेनिकल संपर्क टूट गया और ट्रेन की बिजली सप्लाई बंद हो गई। एमएमआरडीए ने बताया कि ऐसी स्थिति में सामान्य प्रक्रिया के तहत दूसरी मोनोरेल से अटकी हुई ट्रेन को खींचकर निकटतम स्टेशन तक लाया जाता है। लेकिन अतिरिक्त वजन की वजह से ट्रेन को खींचा नहीं जा सका।
मजबूर होकर दमकल विभाग की मदद से यात्रियों को डिब्बों के सीसे तोड़कर मोनोरेल से निकाला गया। बिजली फेल होने की वजह से मोनोरेल पटरी पर बंद होने से यात्रियों में अफरातफरी मच गई। इससे करीब दो दर्जन यात्रियों की तबीयत बिगड़ गई। उन्हें चिकित्सा उपलब्ध कराई गई है। बता दें कि मुंबई मोनोरेल एक लो-कैपेसिटी ट्रांजिट सिस्टम है, जिसका मकसद केवल कुछ चुनिंदा इलाकों में ही परिवहन सेवा उपलब्ध कराना है। यह मेट्रो या लोकल ट्रेन जैसी उच्च क्षमता वाली परिवहन प्रणाली नहीं है। इसलिए अचानक यात्री संख्या बढ़ने को यह प्रणाली झेल नहीं पाई। एमएमआरडीए ने यात्रियों से अपील की है कि वे आपात स्थिति में सुरक्षा व तकनीकी टीमों के निर्देशों का पालन करें और अत्यधिक भीड़भाड़ से बचें, ताकि ऐसी स्थिति दोबारा न बने।