Naresh Bhagoria
17 Dec 2025
जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने बुधवार को उस जनहित याचिका पर केन्द्र व राज्य सरकार सहित 6 को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए, जिसमें ई-रिक्शा को दी गई छूट पर सवाल उठाए गए हैं। मामले में आरोप है कि ई-रिक्शा के लिए न रजिस्ट्रेशन की जरूरत है, न उनके रूट तय है, न स्टॉपेज और न ही पार्किंग। कुल मिलाकर केन्द्र सरकार द्वारा दी गई छूट के बाद ये ई-रिक्शा शहरों की यातायात व्यवस्था को चौपट करने पर अमादा हैं। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने अनावेदकों को चार सप्ताह में जवाब पेश करने कहा है।
यह जनहित याचिका नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपाण्डे और व्यवसायी रजत भार्गव की ओर से दाखिल की गई है। आवेदकों का कहना है कि 18 अक्टूबर 2018 को एक अधिसूचना जारी करके मोटर व्हीकल एक्ट, 1988 की धारा 66(1) में संशोधन कर ई-रिक्शा और बैटरी संचालित वाहनों को परमिट की बाध्यता से मुक्त कर दिया गया। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि यह संशोधन धारा 66(3) के तहत की गई शक्तियों का मनमाना और कानून की मूल भावना के विपरीत प्रयोग है। इस अधिसूचना के बाद से ई-रिक्शों पर किसी भी तरह का कोई नियंत्रण नहीं बचा और वे पूरी तरह से मनमानी करके शहरों की यातायात व्यवस्थाओं को चौपट कर रहे हैं।
मामले में हुई प्रारंभिक सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पक्ष रखा। वहीं केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सुनील कुमार जैन, डिप्टी सॉलिसिटर जनरल सुयश मोहन गुरु हाजिर हुए। सुनवाई के बाद बेंच ने अनावेदकों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।