Mithilesh Yadav
16 Sep 2025
संतोष चौधरी, भोपाल। गुजरात सरकार ने गिर के सिंह (एशियाटिक लॉयन) को मप्र के कूनो भेजने की ढाई दशक पुरानी योजना की फाइल लगभग बंद कर दी है। यानी गुजरात के सिंह अब मध्यप्रदेश नहीं आएंगे, वे अपने असली घर गिर के जंगल में ही रहेंगे।
सूत्रों के अनुसार, सिंह प्रोजेक्ट बंद करने के पीछे गुजरात सरकार ने वन विभाग के विशेषज्ञों की एक रिपोर्ट का हवाला दिया है जिसमें कहा गया है कि कूनो की जलवायु गिर के सिंह के लिए माकूल नहीं है। इसको लेकर गुजरात के वाइल्ड लाइफ वॉर्डन डॉ. जयपाल सिंह से कई बार संपर्क किया गया लेकिन वे उपलब्ध नहीं हो सके।
इधर, वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट अजय दुबे का कहना है कि गिर के सिंह गुजरात के लिए शान और गौरव हैं। सिंह के कारण हर साल लाखों पर्यटक गुजरात जाते हैं। यदि सिंह मप्र को दे दिए जाएंगे तो गुजरात का पर्यटन उद्योग प्रभावित होगा। इसके साथ ही कई कानूनी दिक्कतें भी सामने आईं हैं। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में सालों तक लंबित रहा। मप्र सरकार ने प्रोजेक्ट, विस्थापन और कोर्ट केस पर करोड़ों रु. खर्च कर दिए यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
वहीं, राज्य सरकार ने जुलाई में जारी गजट नोटिफिकेशन में कूनो राष्ट्रीय उद्यान में सिंह परियोजना का नाम बदलकर चीता परियोजना करने और इसके निदेशक को क्षेत्र निदेशक, चीता परियोजना, शिवपुरी नियुक्त करने की घोषणा की। हालांकि मप्र के वन विभाग के वरिष्ठ अफसरों का कहना है कि प्रोजेक्ट का नाम बदलने का मकसद सिंह प्रोजेक्ट रद्द होना नहीं है। इसे बंद किए जाने की अधिकृत सूचना नहीं है।
[quote name="- सुदेश वाघमारे, सदस्य, स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड" quote="असल में गिर के सिंह को कूनो भेजने का चैप्टर उसी दिन खत्म हो गया था, जिस दिन चीते बसाने की योजना बनाई गई। सिंह गिर की शान हैं, गुजरात हमें क्यों देगा? इतने वर्षों से इस प्रोजेक्ट पर कोई कदम नहीं उठा, इसलिए इसे बंद ही मानना चाहिए।" st="quote" style="2"]
[quote name="- एल. कृष्णामूर्ति, एपीसीसीएफ, वाइल्ड लाइफ" quote="गुजरात सरकार द्वारा सिंह प्रोजेक्ट बंद करने की सूचना हमें आधिकारिक रूप से नहीं मिली है। वैसे भी यह केंद्र सरकार का प्रोजेक्ट है। इसे बंद करने का सवाल नहीं उठता। हां, अभी हमारा फोकस चीता प्रोजेक्ट पर जरूर है। कूनो में चीते और सिंह दोनों रह सकते हैं।" st="quote" style="3"]