भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा में गुरुवार को श्रम विभाग से जुड़ा श्रम संशोधन विधेयक 2024 पारित कर दिया गया। इस विधेयक में उद्योगों में हड़ताल और तालाबंदी को लेकर सख्त नियम तय किए गए हैं। इसके अनुसार अब उद्योग बंद करने के लिए एक माह और हड़ताल के लिए डेढ़ माह पहले सूचना देना अनिवार्य होगा।
विधेयक पारित होने के साथ ही सदन में तीखी बहस हुई, कांग्रेस ने इसे मजदूरों के अधिकारों पर हमला बताते हुए विरोध दर्ज किया और बाद में वॉकआउट कर सदन से बाहर आकर नारेबाजी की।
विधेयक में क्या हैं प्रमुख प्रावधान
- हड़ताल से पहले डेढ़ महीने की सूचना अनिवार्य : अब मजदूरों को किसी उद्योग में हड़ताल करने से पहले 45 दिन पहले सूचना देनी होगी। पहले केवल आवश्यक सेवाओं में ऐसा प्रावधान था, अब इसे सभी उद्योगों में लागू कर दिया गया है।
- उद्योग बंद करने के लिए एक माह पहले सूचना देना जरूरी : कोई भी उद्योग अगर बंद होना चाहता है, तो उसे कम से कम 30 दिन पहले सरकार को सूचना देनी होगी, तभी बंदी की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
- ठेकेदारों के लाइसेंस में राहत : विधेयक में संशोधन कर ठेकेदारों को 50 से कम कर्मचारी रखने पर लाइसेंस लेने की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है। पहले यह सीमा 20 कर्मचारियों की थी।
- फैक्ट्री लाइसेंस की लिमिट भी बढ़ी : अब फैक्ट्री लाइसेंस के लिए न्यूनतम कर्मचारियों की संख्या को बढ़ाकर 40 कर दिया गया है, जिससे छोटे उद्योगों को राहत मिलेगी।
कांग्रेस ने कहा, मजदूरों का शोषण बढ़ेगा
विधानसभा में श्रम संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस विधायकों ने जमकर विरोध किया। विपक्ष ने कहा कि यह विधेयक पूरी तरह मजदूर विरोधी और पूंजीपतियों के हित में है।
- बाला बच्चन ने कहा - यह विधेयक मजदूरों की आवाज दबाने वाला है। इससे लाखों श्रमिकों का शोषण होगा। हुकुम मिल के श्रमिकों को 20 साल बाद भुगतान हुआ, सरकार का हिडन एजेंडा है।
- दिनेश गुर्जर ने कहा कि मजदूरों की आवाज दबाना चाहती है। सरकार और मध्यप्रदेश में पहले से ही मजदूरों का शोषण होता है और ये कानून उद्योगपतियों को मजदूरों का शोषण करने की खुली छूट देगा।
- विजय रेवनाथ चौरे बोले- सरकार ठेका प्रथा को बढ़ावा दे रही है। ठेकेदार एक कर्मचारी पर सरकार से 15,000 रुपए लेते हैं और मजदूर को 5,000 रुपए ही देते हैं।
- दिनेश जैन बोस ने कहा कि आउटसोर्सिंग के माध्यम से शोषण हो रहा है। बिचौलियों को हटाकर मजदूरों को सीधे भुगतान की व्यवस्था हो।
- सोहनलाल वाल्मीकि ने बताया कि हड़ताल और आंदोलन मजदूरों का संवैधानिक अधिकार है, जिसे यह विधेयक छीन रहा है।
मजदूरों के हित में है विधेयक : श्रम मंत्री
विधेयक का बचाव करते हुए श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि यह संशोधन 2019 में बने श्रम कानूनों के अनुमोदन के तहत लाया गया है और मजदूरों के हितों की रक्षा करेगा।
- “अब पीएफ का पैसा सीधे मजदूर के खाते में जाएगा, इससे बिचौलियों की लूट बंद होगी।”
- “हम निर्माण कार्य की गति बनाए रखते हुए मजदूरों के अधिकार सुरक्षित करेंगे।”
- “असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए लगातार काम किया जा रहा है। पहले मजदूरों के पीएफ की जानकारी तक नहीं होती थी।”
- “कांग्रेस विधेयक को पढ़े बिना विरोध कर रही है, यह केवल राजनीतिक विरोध है।”
विधानसभा में हंगामा और वॉकआउट
जैसे ही विधेयक पारित हुआ, कांग्रेस विधायकों ने जमकर विरोध किया। संशोधन प्रस्ताव ध्वनि मत से खारिज हुआ, इसके बाद कांग्रेस ने सदन से वॉकआउट किया और बाहर आकर नारेबाजी की। विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस के संशोधनों को नामंजूर कर दिया और सरकार ने विधेयक को ध्वनि मत से पारित घोषित कर दिया।