Naresh Bhagoria
23 Dec 2025
Shivani Gupta
23 Dec 2025
Aakash Waghmare
23 Dec 2025
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राजनीतिक ताकत लगातार कमजोर होती जा रही है। विधानसभा से लेकर संसद तक पार्टी का प्रतिनिधित्व घटता चला गया है। आने वाले समय में बसपा के लिए संसद में अपनी आवाज बनाए रखना बड़ी चुनौती बन गया है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा में फिलहाल बसपा का सिर्फ एक विधायक है। विधान परिषद में पार्टी का कोई भी सदस्य नहीं बचा है। 2024 में विधान परिषद से बसपा पूरी तरह बाहर हो चुकी है।
संसद में इस समय बसपा के एकमात्र सदस्य रामजी गौतम राज्यसभा में हैं। उनका कार्यकाल नवंबर 2026 में समाप्त हो जाएगा। इसके बाद लोकसभा और राज्यसभा, दोनों में बसपा का कोई भी सांसद नहीं रहेगा। यह पार्टी के इतिहास में पहली बार होगा।
2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा एक भी सीट नहीं जीत पाई। इससे पार्टी का संसद में प्रतिनिधित्व पहले ही शून्य हो चुका है। राज्यसभा में भी 2026 के बाद बसपा की मौजूदगी खत्म हो जाएगी।
यूपी विधानसभा के मौजूदा संख्याबल के हिसाब से एक राज्यसभा सीट के लिए 37 विधायकों का समर्थन जरूरी है। बसपा के पास सिर्फ एक विधायक होने के कारण वह न तो राज्यसभा सीट जीत सकती है और न ही उम्मीदवार उतार सकती है।
बसपा की संसद में वापसी अब 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव पर निर्भर है। अगर पार्टी 40 से ज्यादा सीटें नहीं जीत पाती, तो 2029 तक संसद में उसकी कोई भी आवाज नहीं सुनाई देगी।
उत्तर प्रदेश कभी बसपा की सबसे मजबूत जमीन रही है। मायावती चार बार मुख्यमंत्री रहीं, लेकिन मौजूदा समय में पार्टी का जनाधार काफी कमजोर हो गया है। विधानसभा, विधान परिषद और लोकसभा के बाद अब राज्यसभा में भी पार्टी की मौजूदगी खत्म होने वाली है।
बसपा की स्थापना 1984 में कांशीराम ने की थी। 1989 से लेकर अब तक संसद में पार्टी का कोई न कोई प्रतिनिधि जरूर रहा है। नवंबर 2026 में पहली बार ऐसा होगा, जब संसद के दोनों सदनों में बसपा का कोई सदस्य नहीं रहेगा।
मायावती बसपा की पहली राज्यसभा सांसद बनी थीं। 1994 से लेकर अब तक बसपा की आवाज संसद में बनी रही। लेकिन रामजी गौतम का कार्यकाल खत्म होते ही यह सिलसिला टूट जाएगा।
2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा का वोट शेयर घटकर 2.04 फीसदी रह गया है। कोई भी सीट न जीत पाने के कारण पार्टी के राष्ट्रीय दर्जे पर भी खतरा मंडरा रहा है। अगर यह दर्जा छिना, तो बसपा के लिए यह बड़ा सियासी झटका होगा।
विधानसभा, विधान परिषद, लोकसभा और अब राज्यसभा-हर स्तर पर बसपा कमजोर पड़ती नजर आ रही है। आने वाले चुनाव पार्टी के भविष्य के लिए बेहद अहम होंगे, वरना बसपा की सियासी मौजूदगी और सिमट सकती है।