राजीव सोनी-भोपाल। केंद्रीय बजट में 12 लाख रुपए तक की आय पर ‘जीरो टैक्स’ और 75 हजार रुपए स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट के ऐलान से मध्यप्रदेश में करीब 62 हजार करदाता टैक्स के दायरे से बाहर हो जाएंगे। मप्र में आयकर विभाग के समक्ष इस समय करीब 36 लाख लोग इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करते हैं। इसमें से करीब 20-22 फीसदी लोग ही वास्तविक करदाता हैं। लेकिन वित्त वर्ष 2025-26 से नए कर स्लैब के चलते आयकर की सीमा बढ़ने से यह संख्या 17-18 प्रतिशत ही रह जाएगी। इससे सरकार की आमदनी में भी कमी आएगी।
केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नए कर स्लैब के तहत 12 लाख रुपए तक की आय को टैक्स फ्री करने का ऐलान किया है। इस फैसले से मप्र में करीब 60 से 62 हजार लोग टैक्स दायरे से बाहर हो जाएंगे। मप्र की आबादी आज की स्थिति में करीब 8.86 करोड़ है। नई कर व्यवस्था में छूट के माध्यम से मिडिल क्लास के करों में कमी आएगी। उनकी बचत बढ़ने से यह पैसा मार्केट में घूमेगा इससे बचत और निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा। विभागीय सूत्रों का कहना है कि वर्तमान स्थिति में करीब 36 लाख लोग विभाग के समक्ष अपना आयकर विवरण देते हैं।
कम हो जाएंगे टैक्स पेयर्स : इनमें से वास्तविक करदाताओं की संख्या महज 7-8 लाख ही है। अगले वित्त वर्ष में सरकार का नया फैसला लागू होने से करदाताओं की स्थितियां बदल जाएंगी। हालांकि केंद्रीय सरकार का नया वेतनमान लागू होने से भी कुछ फर्क आएगा। आगामी वित्त वर्ष 2025-26 से नया टैक्स स्लैब मतलब 12.75 लाख रुपए तक की आय पर कोई टैक्स लागू न होने से करीब 60-62 हजार करदाता और कम हो जाएंगे। इससे सरकार की रिवेन्यू में भी कमी आएगी।
मप्र-छग में 10 साल के दौरान आयकर विभाग का टैक्स वसूली टारगेट में 125 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी हो चुकी है। मौजूदा वित्तीय वर्ष 2024-25 में पिछले साल की तुलना में करीब 6 हजार करोड़ रुपए अधिक अर्थात 37 हजार 300 करोड़ रुपए की टैक्स वसूली दी गई है। 2023-24 में सीबीडीटी ने मप्र-छग को 31 हजार 800 करोड़ रुपए का टारगेट दिया था। हालांकि टैक्स वसूली का आंकड़ा 33 हजार 332 करोड़ पहुंच गया था। इस साल भी विभागीय अधिकारी टारगेट पीछे छोड़ने की मशक्कत में जुटे है।
मप्र में पिछले वर्ष के अनुसार आईटीआर जमा करने वालों में से करीब 76 फीसदी लोग जीरो रिटर्न भरते हैं। 12.75 लाख तक की आय टैक्स फ्री होने से यह संख्या और करीब 82 फीसदी तक पहुंच जाएगी। इससे मप्र में वित्तीय संकलन भी प्रभावित होगा। -डॉ आरएन सिंह, टैक्स विशेषज्ञ