मराठा आरक्षण आंदोलन : मुंबई पुलिस ने जारी किया नोटिस, मनोज जरांगे बोले- ‘नहीं छोड़ेंगे मुंबई, चाहे जान चली जाए’
मुंबई। मराठा आरक्षण की मांग को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल मुंबई के आजाद मैदान में बीते 29 अगस्त से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं। मंगलवार को मुंबई पुलिस ने उन्हें और उनके समर्थकों को नोटिस जारी कर मैदान खाली करने का निर्देश दिया। हालांकि, जरांगे ने साफ कहा है कि वे अपनी मांगें पूरी होने तक मुंबई नहीं छोड़ेंगे, चाहे उनकी जान क्यों न चली जाए।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद पुलिस की सख्ती
दरअसल, आंदोलनकारियों ने प्रदर्शन की अनुमति के दौरान तय शर्तों का उल्लंघन किया।
आंदोलनकारियों ने छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT) परिसर में कबड्डी, खो-खो और कुश्ती जैसे खेल खेले, जिससे ट्रैफिक जाम हो गया।
इस पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए सरकार को आदेश दिया कि मंगलवार तक आजाद मैदान और आसपास के इलाकों को खाली कराया जाए।

जरांगे का ऐलान- शांति बनाए रखें, हिंसा न करें
पुलिस नोटिस के बाद आजाद मैदान में समर्थकों को संबोधित करते हुए मनोज जरांगे ने कहा- वे आरक्षण मिलने तक मुंबई से नहीं जाएंगे। उन्होंने समर्थकों से शांति बनाए रखने और हिंसा से बचने की अपील की। इसके साथ ही जरांगे ने सरकार को चेताया कि "अगर मराठा समाज का सम्मान होगा, तो वे भी सरकार का सम्मान करेंगे।"
प्रदर्शनकारियों ने पुलिस फैसले को दी चुनौती
जरांगे समर्थकों ने मुंबई पुलिस के फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती देने का ऐलान किया है। आयोजक वीरेंद्र पवार ने बताया कि वकील सतीश मानेशिंदे अदालत में आंदोलनकारियों का पक्ष रखेंगे।

भारी संख्या में जुटी भीड़
- आजाद मैदान में प्रदर्शन के लिए 5,000 लोगों की अनुमति थी, लेकिन मौके पर करीब 35,000 से 45,000 लोग पहुंचे।
- इससे CSTM, मरीन ड्राइव और पी. डी’मेलो रोड जैसी जगहों पर भारी ट्रैफिक जाम हुआ।
- आम लोगों और स्थानीय प्रशासन को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
जरांगे की 5 मुख्य मांगें
- मराठा समुदाय को ओबीसी श्रेणी से आरक्षण दिया जाए।
- ‘सगेसोयरे’ नोटिफिकेशन लागू किया जाए।
- आंदोलनकारियों पर दर्ज सभी केस वापस लिए जाएं।
- शिंदे समिति को विस्तार दिया जाए।
- हैदराबाद गजेटियर को लागू किया जाए।

सरकार की प्रतिक्रिया
मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने बताया कि सरकार ने हैदराबाद गजेटियर लागू करने की मांग को सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर लिया है। इसके लिए ग्राम स्तर पर समितियां बनाई जाएंगी। साथ ही, छोटे मामलों में दर्ज केस वापस लेने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।
लंबा इतिहास और जटिल समीकरण
- मराठा समुदाय महाराष्ट्र की लगभग 33% आबादी है, लेकिन इनमें से 90% भूमिहीन किसान हैं।
- 1997 से यह आंदोलन जारी है।
- 2014 में कांग्रेस सरकार ने 16% आरक्षण दिया था, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
- 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण को असंवैधानिक बताया।
- फरवरी 2024 में शिंदे सरकार ने मराठा समुदाय को 10% आरक्षण देने का कानून पारित किया, लेकिन इसका विरोध और कानूनी पेचीदगियां जारी हैं।
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