Mithilesh Yadav
18 Sep 2025
मुंबई। मालेगांव बम ब्लास्ट मामले में एक बार फिर नई कानूनी जंग शुरू हो गई है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने विशेष एनआईए अदालत से बरी किए गए साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत सभी सात आरोपियों को नोटिस जारी किया है। हाईकोर्ट ने उन्हें छह हफ्तों के भीतर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। यह कार्रवाई विस्फोट में मारे गए छह लोगों के परिजनों द्वारा दाखिल की गई याचिका पर हुई है, जिसमें विशेष अदालत के फैसले को चुनौती दी गई है।
पीड़ित परिवारों ने अपनी याचिका में कहा कि केवल जांच में हुई गलतियों या कुछ त्रुटियों के आधार पर आरोपियों को बरी नहीं किया जा सकता। उनका तर्क है कि विस्फोट की साजिश गुप्त रूप से रची गई थी, इसलिए प्रत्यक्ष साक्ष्य मिलना मुश्किल था। इसके बावजूद अदालत को आरोपियों को बरी करने के बजाय गहराई से जांच करवानी चाहिए थी।
बॉम्बे हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम अंखड की बेंच ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सभी सात आरोपियों और एनआईए को नोटिस जारी किया है। अदालत ने सभी से छह हफ्तों में जवाब मांगा है।
31 जुलाई 2025 को विशेष एनआईए अदालत ने मालेगांव बम ब्लास्ट केस में सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया था। अदालत ने कहा था कि उपलब्ध सबूत दोषसिद्धि के लिए पर्याप्त नहीं हैं। इस फैसले के बाद राजनीतिक हलकों में भी विवाद खड़ा हो गया था।
इससे पहले 16 सितंबर को बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा था कि बरी किए गए फैसले के खिलाफ अपील दाखिल करने का अधिकार हर किसी को नहीं है। केवल वही लोग अपील कर सकते हैं जो ट्रायल में गवाह रहे हों या सीधे तौर पर पीड़ित पक्ष से जुड़े हों।
29 सितंबर 2008 की शाम को नासिक जिले के सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील शहर मालेगांव में भिक्कू चौक मस्जिद के पास विस्फोट हुआ था। बम मोटरसाइकिल पर बंधा हुआ था। इस धमाके में छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। घटना रमजान के महीने में और नवरात्रि से कुछ दिन पहले हुई थी, जिससे इलाके में तनाव फैल गया था।