vikrant gupta
8 Oct 2025
सीहोर। श्रावण मास के पावन अवसर पर सीहोर स्थित कुबेरेश्वर धाम में मंगलवार रात से बुधवार सुबह तक श्रद्धा और आस्था का महासागर उमड़ पड़ा। कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के नेतृत्व में निकली भव्य कांवड़ यात्रा में देशभर से लगभग ढाई लाख श्रद्धालु शामिल हुए। यात्रा की शुरुआत सीवन नदी के तट से हुई और गंगा आश्रम, इंदौर नाका होते हुए कुबेरेश्वर धाम पहुंची।
कांवड़ यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण इंदौर-भोपाल हाईवे पर मंगलवार देर रात से ही लंबा जाम लग गया, जो बुधवार सुबह तक जारी रहा। कई वाहन सुबह 4 बजे से लेकर 7 बजे तक जाम में फंसे रहे। स्थिति इतनी खराब रही कि जहां डायवर्जन किया गया, वहां भी वाहन रेंग-रेंग कर ही चल सके। हाईवे पर केवल श्रद्धालु ही दिखाई दे रहे थे, जो कांवड़ में जल भरने के लिए सीवन नदी की ओर जा रहे थे।
ट्रांसपोर्टरों ने बताया कि जाम खुलवाने के लिए मौके पर कोई पुलिसकर्मी नहीं था, जिससे परेशानी और बढ़ गई। भीड़ की गंभीरता को देखते हुए यातायात पुलिस की व्यवस्था और अधिक सुदृढ़ करने की आवश्यकता महसूस की गई।
कांवड़ यात्रा से पहले श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि श्रावण मास में भगवान शिव और माता पार्वती पृथ्वी पर निवास करते हैं और इस मास में पूजन, उपवास व सेवा का विशेष फल मिलता है। उन्होंने शिव पुराण का हवाला देते हुए कहा कि सबसे पहले रावण ने भगवान शिव को कांवड़ चढ़ाई थी, और शिवजी को यह पूजा पद्धति अत्यंत प्रिय है। उन्होंने इसे कलयुग में शिव युग की वापसी का प्रतीक बताते हुए कहा कि जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा से कांवड़ जल अर्पित करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।
कांवड़ यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं ने आयोजन को अविस्मरणीय बताया। एक महिला श्रद्धालु ने बताया कि वे अपने परिवार के साथ 7-8 लोग यात्रा में शामिल हुए हैं। हालात ऐसे हैं कि पैर रखने तक की जगह नहीं है और गाड़ियों में लोग इस कदर भरे हैं कि सांस लेना तक मुश्किल हो गया। फिर भी कुबेरेश्वर धाम के दर्शन कर जो शांति और आनंद मिला, वह सारी तकलीफों को भुला देने वाला है।
कांवड़ यात्रा में श्रद्धालु भगवा वस्त्र पहनकर, हाथों में कांवड़ लिए, ढोल-नगाड़ों और डीजे की धुन पर नाचते-गाते आगे बढ़ते नजर आए। यात्रा के दौरान भगवान शिव की भव्य झांकियों ने लोगों का मन मोह लिया। ट्रैक्टरों पर सजी इन झांकियों को देखने के लिए हर कोई ठहरता नजर आया।
महिलाओं की भी विशेष भागीदारी रही। वे भी हाथों में कांवड़ लिए, भक्ति भाव से झूमते हुए शिव नाम का जयकारा लगाती रहीं। तेज धूप के बावजूद श्रद्धालुओं का उत्साह और ऊर्जा देखते ही बन रही थी।
श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए शहर में 300 से अधिक सेवा पंडाल लगाए गए हैं, जहां नाश्ता, चाय, जल और विश्राम की व्यवस्था की गई है। सीवन नदी से लेकर कुबेरेश्वर धाम तक हर मोड़ पर भोजन और पानी की व्यवस्था प्रशासन व समाजसेवियों द्वारा की गई है, ताकि कोई भी श्रद्धालु असहज महसूस न करे।
इस कांवड़ यात्रा की एक खासियत रही देशभर से पहुंचे 12 से अधिक डीजे, जिनमें सीहोर के बाबा डीजे, झारखंड के सार्जन डीजे, यूपी के रावण डीजे, दिल्ली का कसाना डीजे, छत्तीसगढ़ का पावर जोन, महाराष्ट्र के प्रशांत डीजे, गुजरात का त्रिनेत्र डीजे, और इंदौर का श्याम बैंड शामिल हैं।
विठलेश सेवा समिति के मनोज दीक्षित ने बताया कि यात्रा में शामिल हुए हजारों श्रद्धालुओं के साथ 100 से ज्यादा ढोल-नगाड़ों और शिव झांकियों की व्यवस्था की गई थी।
प्रशासन ने श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए कई मार्गों पर रूट डायवर्जन किया है। भोपाल से आने वाले भारी वाहनों को श्यामपुर, ब्यावरा, शाजापुर, मक्सी होते हुए इंदौर भेजा गया, जबकि इंदौर, देवास और उज्जैन से भोपाल आने वाले वाहन आष्टा, अमलाहा, भाऊखेड़ी, न्यू क्रीसेंट चौराहा होकर भेजे गए।
हालांकि डायवर्जन के बावजूद भीड़ इतनी अधिक रही कि डायवर्जन मार्गों पर भी लंबा जाम लग गया और यातायात व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई। पुलिस और प्रशासन को भविष्य में ऐसी यात्राओं के लिए अधिक सुव्यवस्थित योजना की आवश्यकता है।