Manisha Dhanwani
4 Nov 2025
Peoples Reporter
4 Nov 2025
अहमदाबाद/पुरी। देश के कई हिस्सों में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्राएं श्रद्धा और उत्साह के साथ निकाली जा रही हैं। ओडिशा के पुरी से लेकर गुजरात के अहमदाबाद और राजस्थान के उदयपुर तक आस्था की ये यात्रा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि भारतीय संस्कृति की जीवंत झलक भी पेश करती है।
गुजरात की राजधानी अहमदाबाद के 400 साल पुराने जमालपुर स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर में सुबह मंगला आरती हुई, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अपने परिवार संग शामिल हुए। सुबह 5 से 6 बजे तक तीनों देवताओं को रथ पर विराजमान किया गया। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने पारंपरिक ‘पाहिंद विधि’ निभाकर रथ यात्रा की शुरुआत की, जिसमें रथ के आगे सोने की झाड़ू से मार्ग बुहारा जाता है। इस बार यात्रा तय समय से 10 मिनट पहले सुबह 6:56 पर शुरू हो गई।

अहमदाबाद की 148वीं रथ यात्रा इस बार कई मायनों में खास रही। पहली बार भगवान जगन्नाथ को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। सुरक्षा के लिहाज से करीब 24 हजार जवान तैनात किए गए, और पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित निगरानी सिस्टम लगाया गया। 4500 पुलिसकर्मी रथ के साथ चल रहे हैं, जबकि 41 ड्रोन, 96 सीसीटीवी और 25 वॉच टावरों से पूरे रूट पर नजर रखी जा रही है।
पूरे मार्ग में श्रद्धालुओं के लिए भक्ति के साथ भोजन का भी खास इंतजाम है। जगह-जगह खिचड़ी, भात और खाजा का प्रसाद वितरित किया जा रहा है। यात्रा में 18 हाथी, 100 से अधिक सांस्कृतिक झांकियां, 30 अखाड़े और कई भजन मंडलियां शामिल हैं।
पुरी में सुबह मंगला आरती और श्रंगार के बाद भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को दोपहर 1 बजे रथों पर विराजित किया जाएगा। शाम 4 बजे गजपति महाराज दिव्य सिंह देव ‘सोने की झाड़ू’ से रथ यात्रा की शुरुआत करेंगे। यह यात्रा 3 किलोमीटर दूर गुंडिचा मंदिर तक जाती है, जिसे भगवान की मौसी का घर माना जाता है। यह यात्रा मोक्ष का मार्ग मानी जाती है और स्कंद पुराण में भी इसका उल्लेख है।
राजस्थान के उदयपुर में 80 किलो चांदी से बने रथ पर भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकाली जा रही है। सुबह मंगला आरती के बाद रथ पर विराजमान भगवान नगर भ्रमण करेंगे। यह यात्रा 7-8 किलोमीटर लंबी होती है और शाम को भगवान पुनः मंदिर लौटते हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के निधन के बाद उनकी अस्थियों से बनी मूर्तियों को लकड़ी से विश्वकर्मा द्वारा गुप्त रूप से तैयार किया गया था। इन्हीं मूर्तियों को हर साल भगवान अपने भाई-बहन के साथ गुंडिचा मंदिर ले जाते हैं। सात दिनों तक वहां रहने के बाद वे पुनः अपने धाम लौट आते हैं।
पुरी में लाखों श्रद्धालुओं के आगमन को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। अब तक 1 लाख से अधिक लोग पुरी पहुंच चुके हैं। प्रशासन ने कहा है कि महाप्रभु की कृपा से रथ यात्रा शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न होगी।