Mithilesh Yadav
4 Nov 2025
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Aakash Waghmare
4 Nov 2025
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4 Nov 2025
जबलपुर। शहर के अंबर विहार कॉलोनी में शुक्रवार सुबह खून से सनी एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जब होम साइंस कॉलेज की बॉटनी विभाग की प्रोफेसर प्रज्ञा अग्रवाल (57 वर्ष) का शव उनके घर में मिला। प्रारंभिक जांच के बाद पुलिस को आत्महत्या का शक था, लेकिन पूरे मामले की पुष्टि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के 24 घंटे बाद हुई। रिपोर्ट में साफ हुआ कि प्रोफेसर प्रज्ञा ने खुद अपने हाथ और गले पर चाकू से वार कर आत्महत्या की थी।
जबलपुर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर अभिषेक ने बताया कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, प्रो. प्रज्ञा अग्रवाल ने अपने बाएं हाथ में चाकू पकड़ा और दाहिने हाथ की नस काटी। इसके बाद उन्होंने उसी हाथ से गले को भी चीर दिया। दोनों जगहों पर आधा इंच से अधिक गहरे कट पाए गए। नस कटते ही खून तेजी से बहने लगा और अनुमानित तौर पर आधा से एक लीटर खून बह गया, जिससे 10 से 15 मिनट के भीतर उनकी मृत्यु हो गई। हालांकि घटनास्थल से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला, जिससे आत्महत्या के पीछे के कारणों पर अब भी रहस्य बना हुआ है।
प्रो. प्रज्ञा अग्रवाल का शव सबसे पहले उनके घर पर काम करने वाली मेड ने देखा। उसने तुरंत पड़ोसियों और फिर पुलिस को सूचना दी। जब पुलिस मौके पर पहुंची, तो खून पूरे फर्श पर फैला था। हाथ और गले पर गहरे कट देखकर प्रथम दृष्टया मामला आत्महत्या से अधिक किसी गंभीर अपराध जैसा लग रहा था, लेकिन जांच के बाद यह स्पष्ट हुआ कि यह आत्महत्या ही थी।
प्रो. प्रज्ञा के छोटे भाई प्रज्ञेश अग्रवाल भोपाल के एक्सीलेंस कॉलेज के डायरेक्टर हैं। उन्होंने बताया कि जैसे ही घटना की जानकारी मिली, वे तुरंत भोपाल से जबलपुर पहुंचे। उन्होंने बताया कि दो दिन पहले ही दीदी से फोन पर बात हुई थी और बातचीत एकदम सामान्य थी। उन्होंने कहा कि दीदी कुछ दिनों में भोपाल आने की योजना बना रही थीं और बातचीत में कहीं से भी ऐसा आभास नहीं हुआ कि वे मानसिक रूप से परेशान हैं या आत्महत्या जैसा कोई कदम उठा सकती हैं।
सीएसपी आशीष जैन ने बताया कि कॉलेज के शिक्षकों, छात्रों और पड़ोसियों से बातचीत की गई है। सभी ने कहा कि प्रोफेसर प्रज्ञा एक खुशमिजाज और मेहनतकश महिला थीं। कॉलेज में NAAC (नेक) एक्रीडेशन की पूरी जिम्मेदारी उनके ऊपर थी, जिसे वे बेहद कुशलता समर्पण से निभा रही थीं। कॉलेज प्रशासन का कहना है कि इस काम में उनकी सबसे बड़ी भूमिका थी और वह कार्य के बोझ के बावजूद कभी थकी हुई या परेशान नहीं लगती थीं।
पुलिस की पूछताछ में यह जानकारी सामने आई है कि प्रज्ञा अग्रवाल अपने माता-पिता के पुराने पुश्तैनी मकान की मरम्मत कराना चाहती थीं। वह अक्सर कहती थीं कि जैसे ही कॉलेज का सारा काम निपट जाएगा, वे मकान का पुनर्निर्माण कराएंगी। उस मकान से उनकी कई बचपन की यादें जुड़ी थीं, इसीलिए वे उसी में रहना पसंद करती थीं। लेकिन कॉलेज के काम के चलते वे इसका समय नहीं निकाल पा रही थीं।
पुलिस को अब इस आत्महत्या के पीछे की वजह तलाशना सबसे बड़ी चुनौती लग रही है। सीएसपी आशीष जैन ने कहा कि पीएम रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया है कि यह आत्महत्या का मामला है। लेकिन जब न कोई आर्थिक संकट, न पारिवारिक विवाद, न ही मानसिक बीमारी का कोई प्रमाण मिला है, तो आखिर आत्महत्या क्यों की गई, यही सवाल पुलिस के सामने अब तक अनसुलझा है।
फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी की टीम ने घटनास्थल से एक घरेलू चाकू बरामद किया है, जो संभवतः आत्महत्या में इस्तेमाल किया गया था। यह वही चाकू है, जिसका इस्तेमाल आमतौर पर रसोई या घरेलू कामों में होता है। पुलिस ने अब तक घर पर काम करने वाली मेड, कॉलेज के साथियों और पड़ोसियों समेत एक दर्जन से अधिक लोगों से पूछताछ की है, लेकिन अब तक कोई ठोस सुराग सामने नहीं आया है।
प्रोफेसर प्रज्ञा हाल ही में दमोह से जबलपुर स्थानांतरित हुई थीं। वे अविवाहित थीं और अपने घर में अकेली रहती थीं। आस-पड़ोस के कुछ लोग कभी-कभार उनसे मिलने आते थे, लेकिन अधिकतर समय वे अकेली ही होती थीं।