इंदौर के गणेश पंडाल में महिला अपराधों पर अनोखी पहल, नीला ड्रम से लेकर राजा रघुवंशी हत्याकांड के लगे पोस्टर
इंदौर जिसे मिनी मुंबई कहा जाता है, वहां गणेश उत्सव के दौरान इस बार एक अलग और अनोखी पहल देखने को मिली। नेहरू नगर रोड नं. 3 पर विराजे 'चा राजा' गणेश पंडाल में श्रद्धालुओं ने भगवान गणेश से महिलाओं से जुड़े अपराधों पर लगाम लगाने की प्रार्थना की। इस पंडाल की खासियत यह है कि यहां देशभर के चर्चित महिला अपराधों और सामाजिक बुराइयों को पोस्टर्स और मॉडल्स के जरिए प्रदर्शित किया गया है।
चर्चित घटनाओं के पोस्टर और मॉडल्स
पंडाल में दिल्ली का श्रद्धा हत्याकांड, मेरठ का नीला ड्रम केस और इंदौर का हनीमून हत्याकांड 'राजा-सोनम' जैसे कई चर्चित मामलों के पोस्टर लगाए गए हैं।
- राजा रघुवंशी हत्याकांड : पोस्टर पर लिखा गया- 'बहुत बचा लिया बेटियों को, अब बेटों को बचा लो।'
- मेरठ का नीला ड्रम कांड : पति की हत्या कर शव ड्रम में भरने की घटना का मॉडल।
- दिल्ली का निर्भया केस : संदेश- 'साल बदले... हालात नहीं।'
- श्रद्धा मर्डर केस : फ्रिज में रखे 35 टुकड़ों का मॉडल, संदेश- 'हिंदू युवतियों, अब्दुल की दीवानी बनोगी तो फ्रिज और सूटकेस में ही निवास पाओगी।'
इन पोस्टर्स और मॉडलों को देखकर श्रद्धालु सिहर उठते हैं, लेकिन संदेश पढ़ने पर उनका उद्देश्य साफ हो जाता है।
'बेटी बचाओ' से 'बेटों को बचाओ' तक का संदेश
आयोजकों का कहना है कि जहां एक ओर 'बेटी बचाओ' अभियान जरूरी है, वहीं आज समाज को 'बेटों को बचाओ' का भी संदेश देना आवश्यक हो गया है। उनका मानना है कि केवल महिलाओं पर हुए अत्याचार ही नहीं, बल्कि महिलाओं द्वारा किए गए अपराधों पर भी समाज को जागरूक होना चाहिए।
अन्य सामाजिक संदेश भी शामिल
- महिला अपराधों के अलावा पंडाल में सामाजिक मुद्दों पर भी ध्यान आकर्षित किया गया है।
- गो हत्या : गाय के अंग के साथ रक्तरंजित हथियार का मॉडल, संदेश- 'गो माता बचा लो अभी भी मौका है।'
- शहीद जवानों का बलिदान : ताबूत में लिपटा शहीद का शव और संदेश- 'मैंने देश में एक हिन्दू होने की कीमत चुकाई है।'
- दहेज प्रथा : संदेश- 'दहेज प्रथा भीख मांगने का तरीका है।'
आयोजकों का उद्देश्य
यह थीम एडवोकेट लखन गोगड़े और उनकी टीम की सोच है। उनका कहना है कि पंडाल की यह सजावट हिंसक नहीं बल्कि समाज को जागरूक करने का प्रयास है। आयोजकों का मानना है कि धार्मिक आयोजनों में सिर्फ भव्यता ही नहीं, बल्कि सामाजिक संदेश भी होने चाहिए।
श्रद्धालुओं की प्रतिक्रिया
पंडाल में दर्शन के लिए आए लोगों ने आयोजकों की इस पहल की सराहना की। कई श्रद्धालुओं का कहना था कि इन पोस्टर्स और मॉडलों ने उन्हें गहराई से सोचने पर मजबूर किया। खासकर महिलाएं इन संदेशों को देखकर सकारात्मक प्रतिक्रिया दे रही हैं।