Priyanshi Soni
15 Oct 2025
नई दिल्ली। भारत ने पाकिस्तान के नेताओं को साफ चेतावनी दी है कि भारत के खिलाफ गैर-जिम्मेदार, युद्ध भड़काने वाले और नफरत फैलाने वाले बयान देना बंद करें, वरना इसके गंभीर नतीजे भुगतने होंगे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि पाकिस्तान के नेता अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए बार-बार इस तरह की बयानबाजी करते हैं, जबकि उन्हें अपनी जुबान पर कंट्रोल रखना चाहिए।
यह चेतावनी ऐसे समय पर आई है जब पिछले 48 घंटों में पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने सिंधु जल समझौते को लेकर भारत को धमकी भरे बयान दिए हैं।
जायसवाल ने कहा कि पाकिस्तानी नेताओं को समझना चाहिए कि उनकी भाषा न केवल गैर-जिम्मेदाराना है बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और कूटनीति के लिए भी खतरनाक है। उन्होंने कहा कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना बखूबी जानता है और अगर पाकिस्तान ने कोई गलत कदम उठाया तो उसका अंजाम बेहद बुरा होगा। उन्होंने दोहराया कि कानून और समझौतों के मामले में भारत का रुख स्पष्ट है और वह किसी भी तरह के दबाव में नहीं आने वाला।
प्रवक्ता ने पाकिस्तान के दावों को खारिज करते हुए कहा कि सिंधु जल संधि को लेकर मध्यस्थता न्यायालय के पास न तो कोई वैध अधिकार है और न ही वह भारत के जल उपयोग पर कोई फैसला दे सकता है। उन्होंने याद दिलाया कि भारत सरकार पहले ही 27 जून 2025 की प्रेस विज्ञप्ति में स्पष्ट कर चुकी है कि यह संधि पाकिस्तान के सीमा पार आतंकवाद, खासकर पहलगाम हमले के जवाब में निलंबित की गई है। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे।
प्रेस ब्रीफिंग के दौरान जायसवाल ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी लोकतांत्रिक मूल्यों और मजबूत आपसी संबंधों पर आधारित है। उन्होंने बताया कि अगस्त के मध्य में अमेरिकी रक्षा नीति दल दिल्ली आएगा। वहीं, विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस महीने के अंत में रूस के मॉस्को में 26वें इंटर-गवर्नमेंट सेशन में हिस्सा लेंगे। उन्होंने अमेरिका और रूस के बीच 15 अगस्त को अलास्का में होने वाली पुतिन-ट्रम्प बैठक का स्वागत करते हुए कहा कि भारत हमेशा शांति और संवाद का समर्थन करता है।
सिंधु नदी प्रणाली में 6 नदियां सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज शामिल हैं। 1960 में वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में भारत और पाकिस्तान के बीच कराची में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और राष्ट्रपति अयूब खान ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। लेकिन भारत ने 24 अप्रैल 2025 को यह समझौता निलंबित कर दिया था, जब पहलगाम आतंकी हमले के अगले दिन इसे रद्द करने की घोषणा की गई।