Shivani Gupta
11 Sep 2025
मुंबई। भारतीय उद्योगपति गौतम अडाणी के लिए अमेरिका में चल रहे रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के मामले का समाधान फिलहाल अटक गया है। अडाणी समूह के प्रतिनिधियों और अमेरिकी अधिकारियों के बीच जो प्रगति हो रही थी, वह पिछले कुछ महीनों में ठहर गई है। इसकी बड़ी वजह भारत और अमेरिका के बीच बढ़े तनाव बताए जा रहे हैं। इन तनावों में व्यापार से जुड़े मुद्दे, रूस से भारत के तेल आयात और पाकिस्तान के साथ भारत के टकराव जैसे कारक शामिल हैं। अमेरिकी न्याय विभाग ने अडाणी के खिलाफ जो आपराधिक मामला 2024 के अंत में सार्वजनिक किया था, उसे लेकर जांच अब भी जारी है।
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इसके साथ ही, अमेरिकी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) ने भी अडाणी और उनके समूह के खिलाफ एक दीवानी मुकदमा दायर किया है। अगस्त 2025 की एक अदालती फाइलिंग के मुताबिक, एसईसी ने भारतीय अधिकारियों से मदद की अपील की है ताकि कानूनी कागजात अडाणी तक पहुंचाए जा सकें। सूत्रों के अनुसार, अडाणी समूह की ओर से अमेरिका में कई बड़े और प्रभावशाली वकील इस मामले में पैरवी कर रहे हैं। लेकिन अमेरिकी ट्रंप प्रशासन ने साफ संकेत दिया है, कि जब तक दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध तनावपूर्ण हैं, तब तक इस मामले का निपटारा संभव नहीं है। इसका मतलब यह है कि अडाणी को फिलहाल राहत नहीं मिलने वाली।
अडाणी समूह की मुश्किलें यहीं तक सीमित नहीं हैं। अमेरिका और भारत के बीच पैदा हुए इस विवाद का असर अडाणी की वैश्विक विस्तार योजनाओं पर भी पड़ा है। कई विदेशी निवेशक और कारोबारी सौदे इस कानूनी अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनाव के कारण रुके हुए हैं। इससे अडाणी की साख और निवेश जुटाने की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। दिलचस्प बात यह है कि भारत-अमेरिका संबंधों में हाल ही में कुछ नरमी भी देखने को मिली है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें महान प्रधानमंत्री और अपना मित्र कहा है।
साफ देखा जा सकता है कि अमेरिका अडानी समूह के खिलाफ कार्रवाई को भारत-अमेरिका कूटनीतिक समीकरण से जोड़कर देख रहा है। जब तक दोनों देशों के बीच विश्वास और सहयोग का माहौल नहीं बनता, तब तक अडाणी के खिलाफ मामलों का निपटारा असंभव माना जा रहा है। इस घटनाक्रम से यह भी स्पष्ट होता है कि बड़े उद्योगपतियों के अंतरराष्ट्रीय कारोबारी विस्तार पर भू-राजनीतिक रिश्तों का गहरा असर पड़ता है। भारत की ऊर्जा नीति, खासकर रूस से तेल आयात पर उसका रुख, अमेरिका को असहज कर रहा है और इसका खामियाजा अडाणी जैसे कारोबारी भी भुगत रहे हैं।