Shivani Gupta
5 Nov 2025
नई दिल्ली। भारतीय थल सेना को पहली बार अमेरिका से तीन एडवांस अपाचे AH-64E अटैक हेलिकॉप्टर की खेप मिल गई है। यह हेलिकॉप्टर मंगलवार को गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर उतारे गए। इन्हें अमेरिका से एंटोनोव कार्गो विमान के ज़रिए लाया गया। सेना ने इन्हें “ऐतिहासिक मील का पत्थर” बताया है।
इन हेलिकॉप्टरों को राजस्थान के जोधपुर सेक्टर में पाकिस्तान से सटी सीमा पर तैनात किया जाएगा। इससे सेना की ऑपरेशनल स्ट्राइक क्षमता और तेजी से जवाबी कार्रवाई की ताकत में बड़ा इजाफा होगा।

भारतीय थल सेना के लिए कुल 6 अपाचे हेलिकॉप्टरों का सौदा हुआ था। इनमें से पहली खेप के तीन हेलिकॉप्टर अब भारत पहुंच चुके हैं। इन्हें रेत जैसे (सैंड) रंग में रंगा गया है, जिससे यह रेगिस्तानी इलाकों में आसानी से छिप सकते हैं और दुश्मन की नजरों से बचकर हमला कर सकते हैं। इन हेलिकॉप्टरों को थल सेना की एविएशन विंग में शामिल किया जाएगा।
अपाचे हेलिकॉप्टरों को पश्चिमी सीमा पर तैनात किया जाएगा, खासकर राजस्थान के जोधपुर क्षेत्र में। ये क्षेत्र पाकिस्तान से सटा हुआ है, जहां हमेशा हाई अलर्ट की स्थिति रहती है। इससे थल सेना को दुश्मन की किसी भी घुसपैठ या अचानक हमले का जवाब देने में तुरंत सहायता मिलेगी।
भारतीय वायुसेना के पास पहले से ही 22 अपाचे हेलिकॉप्टर हैं, जो चीन और पाकिस्तान सीमाओं पर तैनात हैं। थल सेना को अब ये ताकत पहली बार मिल रही है।

इन एडवांस अटैक हेलिकॉप्टरों को ‘फ्लाइंग टैंक’ कहा जाता है। सेना का कहना है कि इनकी तैनाती से न सिर्फ मारक क्षमता बढ़ेगी, बल्कि रिस्पांस टाइम भी तेज होगा।
सेना ने बयान में कहा कि, “अत्याधुनिक तकनीक से लैस अपाचे हेलिकॉप्टर हमारे संचालन, निगरानी और युद्धक अभियानों को कहीं ज्यादा प्रभावशाली बनाएंगे।” जहां “प्रचंड” हेलिकॉप्टर को लद्दाख जैसे ऊंचाई वाले इलाकों के लिए डिजाइन किया गया है, वहीं अपाचे खुले और शहरी युद्ध क्षेत्रों में टैंक व बख्तरबंद वाहन नष्ट करने के लिए मुफीद हैं।
भारत की यह रणनीति अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों की सैन्य प्रैक्टिस के समान है, जहां थल सेना को सीधे अटैक हेलिकॉप्टरों की मदद मिलती है। अब भारतीय थल सेना भी सीधे हवाई हमला करने में सक्षम हो गई है। यह थल और वायु शक्ति का संयोजन है जो आधुनिक युद्धों में निर्णायक भूमिका निभाता है।