Aniruddh Singh
28 Oct 2025
Aniruddh Singh
28 Oct 2025
Aniruddh Singh
27 Oct 2025
मास्को। रूसी ऊर्जा मंत्री सर्गेई सिविलेव ने घोषणा की है कि मॉस्को भारत को तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) की आपूर्ति में उल्लेखनीय वृद्धि करने के लिए तैयार है। यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब भारत अपनी ऊर्जा मिश्रण में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को वर्तमान लगभग 6-7 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य तय किया है। रूसी मंत्री ने समाचार एजेंसी तास से बातचीत में कहा कि रूस वर्तमान और भविष्य की परियोजनाओं से भारत को अधिक एलएनजी उपलब्ध कराने को तैयार है। उन्होंने कहा भारत हमारे लिए एक प्रमुख साझेदार है। भारत की गैस खपत बढ़ाने की योजनाओं के अनुरूप, हम अपने मौजूदा और नए प्रोजेक्ट्स से एलएनजी की आपूर्ति बढ़ाने के इच्छुक हैं।
वर्तमान में रूस भारत को सालाना लगभग 3 मिलियन टन एलएनजी निर्यात करता है। जुलाई में रूस के उप प्रधानमंत्री अलेक्जेंडर नोवाक ने कहा था कि दोनों देश गैस क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के नए अवसर तलाश रहे हैं, जिसमें गैस आपूर्ति में वृद्धि भी शामिल है। विशेषज्ञों का मानना है कि पश्चिमी प्रतिबंधों के बीच रूस अपनी ऊर्जा आपूर्ति के लिए एशियाई बाजारों विशेषकर भारत और चीन को रणनीतिक रूप से प्राथमिकता दे रहा है। रूसी मंत्री ने बताया कि वर्ष 2024 में भारत रूस के तेल निर्यात का एक अहम केंद्र बन गया, और यही स्थिति 2025 में भी जारी रहने वाली है। अमेरिका और यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के कारण रूस के प्रमुख तेल उत्पादक रोसनेफ्ट और लुकोइल कई पश्चिमी बाजारों से बाहर हो गए हैं, जिससे भारत उनके लिए एक महत्वपूर्ण और भरोसेमंद खरीदार के रूप में उभरा है।
एलएनजी के अलावा रूस ने कोयले के क्षेत्र में भी भारत के साथ सहयोग बढ़ाने का इच्छुक है। सिविलेव ने कहा रूस वर्ष 2035 तक भारत को कोयले की आपूर्ति 40 मिलियन टन तक बढ़ाने की योजना बना रहा है। वर्तमान में भारत रूस से प्रमुख रूप से कोकिंग कोल और थर्मल कोल आयात करता है, जिनका उपयोग स्टील और बिजली उत्पादन में किया जाता है। रूसी उप ऊर्जा मंत्री दिमित्री इस्लामोव के अनुसार, चीन, भारत और अफ्रीका रूसी कोयले के लिए भविष्य के सबसे संभावनाशील बाजार हैं। बता दें भारत और रूस के बीच ऊर्जा सहयोग केवल आर्थिक पहलू तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भू-राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों ने रूस को वैकल्पिक बाजारों की ओर मोड़ दिया है, वहीं भारत अपनी ऊर्जा मांग पूरी करने के लिए आपूर्ति के नए स्रोत सुनिश्चित कर रहा है।