Shivani Gupta
24 Dec 2025
नई दिल्ली। इंडियन एयरफोर्स के ग्रुप कैप्टन और एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला ने एक्सिओम-4 मिशन से लौटने के बाद अपने अनुभव साझा किए। दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि, "अगर हम कहें कि डर कभी नहीं लगता तो यह गलत होगा, लेकिन हमारे पीछे एक भरोसेमंद टीम होती है जिसे हम अपनी जिंदगी सौंप देते हैं।"
शुभांशु इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में दो हफ्ते तक मिशन पायलट और कमांडर के रूप में रहे। इस दौरान उन्होंने वैज्ञानिक प्रयोग, सिस्टम ऑपरेशन और कई महत्वपूर्ण टेस्ट पूरे किए।
उन्होंने कहा कि यह अनुभव सिर्फ ट्रेनिंग तक सीमित नहीं था। अंतरिक्ष में रहकर जो ज्ञान मिला, वह आने वाले भारतीय मिशनों, खासकर गगनयान और भारतीय स्पेस स्टेशन प्रोजेक्ट के लिए बेहद उपयोगी होगा।
शुक्ला ने कहा कि बहुत जल्द हम अपने रॉकेट और कैप्सूल से अंतरिक्ष यात्री भेजेंगे। उन्होंने बताया कि “अंतरिक्ष में 20 दिन बिताने के बाद शरीर ग्रेविटी में रहना भूल जाता है, यह अनुभव जमीन पर सीखी ट्रेनिंग से बिल्कुल अलग है।”
प्रयोगों पर प्रगति? – डेटा एनालिसिस जारी है, कुछ महीनों में नतीजे सामने आएंगे।
गगनयान और एक्सिओम ट्रेनिंग में फर्क? – ट्रेनिंग सिस्टम अलग हैं, लेकिन लक्ष्य एक ही है।
गगनयान में सीखा क्या? – असल जीवन में मिशन किताबों से बहुत अलग और चुनौतीपूर्ण होता है।
रॉकेट लॉन्च पर कैसा लगा? – बेहद एक्साइटमेंट थी, रिस्क का एहसास था लेकिन उसे मैनेज किया।
कठिन पलों में किसे याद करते हैं? – ट्रेनिंग में कल्पना करते हैं कि मिशन कैसा होगा, लॉन्चिंग का अनुभव शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता।
शुभांशु शुक्ला ने कहा- “मैंने कभी नहीं सोचा था कि अंतरिक्ष में जाऊंगा, लेकिन मैंने किया। इसलिए बच्चे और युवा अगर सपने देखें और मेहनत करें तो वे भी यह कर सकते हैं।” उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि, “भारत आज भी अंतरिक्ष से सारे जहां से अच्छा दिखता है।”