Shivani Gupta
23 Dec 2025
Naresh Bhagoria
23 Dec 2025
Shivani Gupta
23 Dec 2025
महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में करारी हार के बाद अब विपक्षी पार्टियां बीएमसी चुनाव की तैयारी में जुट गई हैं। इसी कड़ी में उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) ने हाथ मिला लिया है। दोनों दलों ने बीएमसी समेत राज्य के 29 नगर निगम चुनाव साथ लड़ने का फैसला किया है।
उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने मुंबई में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गठबंधन की औपचारिक घोषणा की। उद्धव ठाकरे ने कहा कि दोनों की सोच एक है और मराठियों के संघर्ष और बलिदान को याद रखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि आज दोनों भाई एक साथ हैं और साथ रहने के लिए ही यह फैसला लिया गया है।
उद्धव ठाकरे ने कहा कि दिल्ली में बैठे लोग उन्हें तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बार टूटना नहीं है, क्योंकि ऐसा हुआ तो मराठियों के बलिदान का अपमान होगा।
राज ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र और मुंबई किसी भी झगड़े से बड़े हैं। उन्होंने साफ कहा कि सीटों का बंटवारा अहम नहीं है। उनका दावा था कि मुंबई का मेयर मराठी ही होगा और उन्हीं का होगा।
गठबंधन के ऐलान से पहले ठाकरे ब्रदर्स शिवाजी पार्क पहुंचे। इस दौरान उद्धव ठाकरे के साथ उनके बेटे आदित्य ठाकरे और राज ठाकरे के साथ उनके बेटे अमित ठाकरे भी मौजूद थे। लंबे समय बाद पूरा ठाकरे परिवार एक साथ नजर आया।
शिवसेना (यूबीटी) की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि जनता के हित में कोई काम नहीं हुआ है और जनता के पैसे की लूट हुई है। उन्होंने कहा कि राजनीति उनके लिए सेवा का माध्यम है। साथ ही दावा किया कि मेयर उनका ही होगा और मराठी ही होगा।
संजय राउत ने इस मौके को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि बालासाहब ठाकरे का पूरा परिवार एक साथ आ रहा है। उन्होंने कहा कि यह पारिवारिक नहीं बल्कि राजनीतिक गठबंधन है, जिसका बड़ा फायदा बीएमसी और अन्य नगर निगम चुनावों में मिलेगा।
करीब 20 साल बाद उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक साथ आए हैं। दोनों दलों के बीच सीट शेयरिंग पर सहमति बन चुकी है। संजय राउत ने शिवतीर्थ जाकर राज ठाकरे से मुलाकात की थी, इसके बाद एमएनएस नेताओं ने मातोश्री पहुंचकर उद्धव ठाकरे से चर्चा की।
गठबंधन का ऐलान पहले 23 दिसंबर को होना था, लेकिन सीटों को लेकर मतभेद के कारण इसे एक दिन टाल दिया गया। शिवसेना (यूबीटी) पिछली बीएमसी में जीती गई 84 सीटों में से 12 से 15 सीटें एमएनएस को देने को तैयार थी, लेकिन कुछ मुश्किल सीटों पर सहमति नहीं बन पा रही थी।