Manisha Dhanwani
4 Nov 2025
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि शादी का अर्थ ही दो आत्माओं का मिलन है और ऐसे में पति-पत्नी का अलग रहना नामुमकिन है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर कोई व्यक्ति अपने साथी से अलग रहना चाहता है तो उसे विवाह ही नहीं करना चाहिए। यह टिप्पणी जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने एक मामले की सुनवाई के दौरान की।
सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा, "शादी का क्या मतलब है, दो आत्माओं और दो लोगों का एक साथ आना। आप कैसे कह सकते हैं कि हम अलग रहना चाहते हैं?" कोर्ट ने जोर देकर कहा कि वैवाहिक जीवन में मतभेद होना सामान्य है, लेकिन अलगाव समाधान नहीं है।
यह मामला ऐसे जोड़े से जुड़ा था जिनके दो छोटे बच्चे हैं और पति-पत्नी अलग रह रहे हैं। कोर्ट ने इस पर चिंता जताते हुए कहा, "अगर पति-पत्नी एक साथ रहते हैं तो हमें खुशी होगी क्योंकि बच्चे बहुत छोटे हैं। उनकी क्या गलती है कि उनका घर टूट जाए?" बेंच ने कहा कि बच्चों को टूटे हुए परिवार का सामना न करना पड़े, यह माता-पिता की जिम्मेदारी है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुई पत्नी ने अदालत से कहा कि ताली एक हाथ से नहीं बजती, यानी झगड़े की जिम्मेदारी दोनों पर है। इस पर बेंच ने जवाब दिया कि हर दंपति के बीच किसी न किसी रूप में विवाद होते हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वे अलग हो जाएं।