People's Reporter
5 Nov 2025
भोपाल। मेडिकल स्टूडेंट्स में बढ़ रहे तनाव को कम करने के लिए एम्स में सेंटर ऑफ हैप्पीनेस की शुरुआत की गई थी। सेंटर में एक्सपर्ट अलग-अलग तरीकों से छात्रों को डिप्रेशन से उबारने का काम करते हैं। अब एम्स भोपाल और आईआईटी खड़गपुर छात्रों की मानसिक स्थिति को समझने के लिए रिसर्च करेंगे। इसके लिए दोनों संस्थानों में सोमवार को एमओयू किया गया।
इस मौके पर आईआईटी खड़गपुर के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर साइंस ऑफ हैप्पीनेस के चेयरमैन डॉ. सतिंदर सिंह रेखी ने कहा कि दिमाग बंदर की तरह होता है। मंकी माइंड का मतलब है हमारा दिमाग बंदर की तरह चंचल होना। यह शब्द बौद्ध दर्शन से आया है। इसका मतलब है ऐसा मन जो बार-बार इधर-उधर भटकता है, एक विचार से दूसरे विचार पर कूदता रहता है, जैसे बंदर पेड़ों की डालियों पर कूदता है। यह स्थिति तब होती है जब हमारा मन प्रशिक्षित नहीं होता और ध्यान केंद्रित करने की आदत नहीं होती।
एम्स के निदेशक डॉ. अजय सिंह ने कहा, डॉक्टर, मेडिकल छात्र और पैरामेडिक्स अक्सर अत्यधिक मानसिक तनाव में काम करते हैं। खुशी का वैज्ञानिक दृष्टिकोण उन्हें आत्मबल, आशावाद और संतुलन प्रदान करता है। यह पहल समय की मांग ही नहीं, बल्कि आवश्यकता भी है।
कैंसर पीड़ित बच्चों और उनके परिजनों, साथ ही ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर के लिए भी विशेष सत्र आयोजित किए गए। इनका उद्देश्य था उपचार के दौरान मानसिक तनाव को कम करना और आशावाद बनाए रखना। मरीजों ने बताया कि इन सत्रों से उन्हें भावनात्मक सहारा मिला और उनका आत्मविश्वास बढ़ा।