Aditi Rawat
5 Nov 2025
Aditi Rawat
4 Nov 2025
पल्लवी वाघेला, भोपाल। अमूमन फैमिली कोर्ट में ऐसे मामले पहुंचते हैं जहां पत्नियां अपने पति से भरण-पोषण मांगती हैं। हालांकि, इस मामले में पति का कहना है कि वह बेरोजगार है और जब पत्नी आईवीएफ से बच्चे के लिए पैसा दे सकती है तो उसे पालने की जिम्मेदारी भी पत्नी की है। मामला कोर्ट में विचाराधीन है जहां पति द्वारा भरण-पोषण के केस के बाद पत्नी ने तलाक का केस लगाया है। साथ ही वह पति से आईवीएफ के लिए एनओसी चाहती है। पत्नी ने कोर्ट में यह सवाल भी उठाया कि जब वह खुद बच्चे के पालन-पोषण में सक्षम है तो उसे पति की एनओसी लेने की बाध्यता क्यों है?
दंपति की शादी को सात साल हुए हैं। उनकी लव मैरिज थी। पत्नी जहां भोपाल में शासकीय सेवा में प्रतिष्ठित पद पर है, वहीं पति बेरोजगार है। शादी के वक्त पति कानपुर में था। बाद में वह पत्नी के साथ रहने की बात कहकर भोपाल आ बसा। इसके बाद से उसने कोई काम शुरू नहीं किया है। पत्नी ने आरोप लगाए हैं कि पहले पति ने मां बनने का हक छीन लिया और अब आईवीएफ के लिए एनओसी देने के नाम पर भरण-पोषण की मांग कर रहा है। पति कहता है कि अब तुम्हारे तीन-चार साल कोर्ट -कचहरी में निकल जाएंगे और साथ ही मां बनने की उम्र भी निकल जाएगी। अब महिला का सवाल है कि यदि वह बच्चे को पालने में सक्षम हैं तो पति की इजाजत के बिना तकनीक का इस्तेमाल कर वह मां क्यों नहीं बन सकती?
महिला के मुताबिक शादी के वक्त उसकी उम्र 28 के करीब थी, इसलिए उसने शादी के बाद परिवार बढ़ाने की इच्छा जताई, लेकिन पति टालता रहा। जब कोविड के दौरान इस बात पर बहस बढ़ने लगी तो उसे एहसास हुआ कि पति उसके पैसों पर ऐश करना चाहता है और जिम्मेदारी से बच रहा है। वहीं, पति ने कहा कि वह पत्नी की खातिर अपनों को छोड़कर यहां आ बसा। यहां उसके लिए कोई काम नहीं मिल पा रहा तो वो क्या करे। एक्सपर्ट का कहना है कि सिर्फ बेरोजगारी के आधार पर भरण-पोषण नहीं दिया जाता है, पति को यह साबित करना होगा कि वह कमाने में सक्षम नहीं है।