Naresh Bhagoria
13 Dec 2025
जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को राहत देते हुए कहा है कि भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के जहरीले कचरे की राख को पीथमपुर के फैक्ट्री परिसर में ही दफन किया जाए। जस्टिस विवेक कुमार सिंह और जस्टिस अजय कुमार निरंकारी की डिवीजन बेंच ने 8 अक्टूबर को जस्टिस श्रीधरन की बेंच के उस आदेश को शिथिल कर दिया, जिसमें जहरीली राख को आबादी से दूर किसी नए स्थान पर दफन करने कहा गया था। मामले की सुनवाई दो माह बाद निर्धारित करके बेंच ने 3 दिसंबर 2024 के पूर्व चीफ जस्टिस की बेंच के आदेश के तहत कार्रवाई करके सरकार को रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।
राजधानी भोपाल में 2-3 दिसंबर 1984 की देर रात को यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में हुए मिथाइल आइसोसाइनेट गैस रिसाव के कारण 3828 लोगों की जान चली गई थी और 18 हजार 922 लोग घायल हुए थे। इसी तरह करीब 10 हजार लोग विकलांग हो गए थे। इस मामले को लेकर वर्ष 2004 में आलोक प्रताप सिंह (अब स्वर्गीय) की ओर से एक जनहित याचिका हाईकोर्ट में दायर हुई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन का मामला हाईकोर्ट को सुनवाई के साथ मॉनिटरिंग करने के लिए भेजा गया था। वर्ष 2004 से इस जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही है।
हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत व जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने कहा था कि जहरीले कचरे के विनष्टीकरण के संबंध में सारे विभाग एक सप्ताह में अनुमतियां प्रदान करें। यूका फैक्ट्री परिसर के कचरे को धार जिले के पीथमपुर में ले जाकर उसका विनष्टीकरण किया जाए।
हाईकोर्ट के पूर्व प्रशासनिक जज अतुल श्रीधरन की डिवीजन बेंच ने सरकार की ओर से पेश की गई रिपोर्ट को दरकिनार कर दिया था। बेंच ने सरकार को कहा था कि जहरीले कचरे की राख को आबादी से दूर किसी नए वैकल्पिक स्थान पर नष्ट किया जाए। इस काम के लिए नए ग्लोबल टेंडर जारी हों, ताकि योग्य कंपनियां इस काम के लिए आगे आ सकें।