चंडीगढ़। लोकसभा चुनाव के बीच हरियाणा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) को झटका लगा है। तीन निर्दलीय विधायकों ने मंगलवार को घोषणा की कि उन्होंने राज्य में नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। तीन विधायकों में चरखी दादरी से विधायक सोमबीर सांगवान, पुंडरी से विधायक रणधीर गोलन और नीलोखेड़ी से विधायक धर्मपाल गोंदर शामिल हैं। इन तीनों विधायकों ने रोहतक में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा की मौजूदगी में कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया है।
हम अब कांग्रेस के साथ हैं : विधायक गोंदर
तीनों विधायकों ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश कांग्रेस प्रमुख उदय भान की मौजूदगी में रोहतक में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में यह घोषणा की। विधायक धर्मपाल गोंदर ने कहा, ‘‘हम सरकार से समर्थन वापस ले रहे हैं। हम अब कांग्रेस के साथ हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘हमने किसानों से जुड़े मुद्दों सहित विभिन्न मुद्दों पर यह निर्णय लिया है।''
भाजपा को था निर्दलीय विधायकों का समर्थन
उदय भान ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘तीन निर्दलीय विधायकों -सोमबीर सांगवान, रणधीर गोलन और धर्मपाल गोंदर ने भाजपा नीत सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है और कांग्रेस को अपना समर्थन देने का फैसला किया है।'' उदय भान ने कहा, ‘‘मैं यह भी कहना चाहता हूं कि (90 सदस्यीय) हरियाणा विधानसभा की मौजूदा क्षमता 88 की है, जिसमें से भाजपा के 40 सदस्य हैं। भाजपा नीत सरकार को पहले जननायक जनता पार्टी (जजपा) के विधायकों और निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त था, लेकिन जजपा ने भी समर्थन वापस ले लिया था और अब निर्दलीय भी साथ छोड़ रहे हैं।''
कांग्रेस को जनता की इच्छाओं से मतलब नहीं : सीएम सैनी
निर्दलीय विधायकों द्वारा कांग्रेस का समर्थन करने पर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा, "विधायकों की कुछ इच्छाएं होती हैं, कांग्रेस आजकल इच्छाएं पूरी करने में लगी हुई है। लोग सब जानते हैं कि किसकी क्या इच्छा है। कांग्रेस को जनता की इच्छाओं से मतलब नहीं है।"
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सीएम को इस्तीफा दे देना चाहिए : उदय भान
निर्दलीय विधायकों के इस फैसले को लेकर हरियाणा की सियासत में गरमाहट आ गई है। वहीं उदय भान ने कहा, ‘‘नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली सरकार अब अल्पमत में है। मुख्यमंत्री सैनी को अपना इस्तीफा दे देना चाहिए, क्योंकि उन्हें एक मिनट भी पद पर रहने का अधिकार नहीं है।'' उन्होंने कहा कि राज्य में जल्द से जल्द विधानसभा चुनाव होने चाहिए।
हरियाणा के 11वें सीएम बने नायब सिंह सैनी
अभी तक भाजपा, जजपा के साथ मिलकर हरियाणा में सरकार चला रही थी, लेकिन लोकसभा सीटों में बंटवारे पर बात नहीं बनने की वजह से भाजपा ने मंगलवार (12 मार्च) को गठबंधन तोड़कर निर्दलीयों के सहारे नई सरकार बना ली है। जननायक जनता पार्टी (JJP) से गठबंधन तोड़ते हुए मनोहर लाल खट्टर ने अपनी पूरी कैबिनेट के साथ मंगलवार (12 मार्च) को इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद उसी दिन नायब सिंह सैनी ने हरियाणा के 11वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली।
हरियाणा विधानसभा का गणित क्या है?
हरियाणा में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं। बहुमत के लिए 46 विधायक चाहिए। भाजपा ने 2019 में हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में 90 सीटों में से 40 सीटें जीती थीं। लेकिन वह बहुमत का आंकड़ा नहीं छू पाई थी। वहीं कांग्रेस को 31 सीटें मिली थीं। इसके अलावा जनता जननायक पार्टी को 10 सीटों पर जीत मिली थी, भाजपा ने जजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी।
हरियाणा में जजपा से गठबंधन टूटा लेकिन बहुमत भाजपा के ही पास है। हरियाणा में भाजपा के पास खुद के 41 MLA हैं। 6 निर्दलीय और एक हलोपा विधायक का भी उसे समर्थन हासिल है यानी भाजपा के पास 48 विधायक हैं। बहुमत के लिए 46 सीटें चाहिए।
हरियाणा विधानसभा में दलगत स्थिति
दल |
विधायक |
भाजपा |
41 |
कांग्रेस |
30 |
जजपा |
10 |
हलोपा |
01 |
इनेलो |
01 |
निर्दलीय |
07 |
कुल संख्या |
90 |
सैनी का “नायब” से “सदर” बनने का सफर
नायब सिंह सैनी 25 जनवरी 1970 को अंबाला के गांव मिर्जापुर माजरा में जन्मे थे। उन्होंने बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित बीआर अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन और मेरठ की चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी से LLB की डिग्री ली। इसके बाद राजनीति में उतरे। सैनी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े। नायब सिंह को मुख्यमंत्री मनोहर लाल का करीबी माना जाता है और सरकार में सीएम बनने से पहले उनका रूतबा नायब (डिप्टी) सीएम जैसा था। उन्होंने अपना राजनीतिक सफर बीजेपी के साथ 1996 से बतौर युवा कार्यकर्ता के तौर पर शुरू किया। 2002 में वे युवा मोर्चा भारतीय जनता पार्टी (BJP) अंबाला से जिला महामंत्री बने। 2005 में युवा मोर्चा भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष का पद भी संभाला। 2009 में उन्हें बीजेपी के किसान मोर्चा में प्रदेश महामंत्री की जिम्मेदारी मिली। 2012 में वह जिलाध्यक्ष बने और 2014 में नायब नारायण गढ़ विधानसभा से विधायक बने। 2016 में वे हरियाणा सरकार में राज्य मंत्री रहे।
मंत्री और सांसद भी रहे
2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें कुरूक्षेत्र लोकसभा सीट से उतारा। नायब सैनी यहां से जीतकर पहली बार सांसद बने। पार्टी ने जाट समुदाय से आने वाले ओमप्रकाश धनखड़ को हटाकर 27 अक्टूबर 2023 को नायब सैनी को हरियाणा BJP का अध्यक्ष बनाया था। और प्रदेश अध्यक्ष बनने के पांच महीने बाद उन्होंने सीधे सीएम पद की शपथ ले ली। अपने 28 साल के राजनीतिक करियर में नायब अब एक ऐसी मिसाल बन गए हैं जिसने सिय़ासी सफलता के नए प्रतिमान गढ़े हैं। वे अब बीजेपी के उन मुख्यमंत्रियों की जमात का हिस्सा बन गए हैं जो पार्टी द्वारा कई गुना ज्यादा अनुभवी नेताओं को दरकिनार करने के बाद अपने सूबे के सदर बने हैं।
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