Priyanshi Soni
6 Nov 2025
गुरु गोबिंद सिंह जी ने ही खालसा वाणी, 'वाहे गुरु की खालसा, वाहेगुरु की फतह' दिया था। समाज में धर्म और सत्य की स्थापना के लिए गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी।
खालसा पंथ में ही गुरु ने जीवन के पांच सिद्धांत बताए थे। जिसे पंच ककार के नाम से जाना जाता है। उन्होंने कहा था कि जो भी सिख होगा, उसके लिए पांच ककार केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कच्छा अनिवार्य होगा। ये पहनकर ही खालसा वेश पूर्ण माना जाता है।
गुरु गोबिंद सिंह एक महान योद्धा होने के साथ कई भाषाओं के जानकार और विद्वान महापुरुष थे। इन्हें पंजाबी, फारसी, अरबी, संस्कृत और उर्दू समेत कई भाषाओं की अच्छी जानकारी थी।
गुरु गोबिंद सिंह जी बहादुरी की मिसाल थे। उनके लिए कहा जाता है “सवा लाख से एक लड़ाऊँ चिड़ियों सों मैं बाज तड़ऊँ तबे गोबिंदसिंह नाम कहाऊँ”। उन्होंने सिखों को निडर रहने का संदेश दिया।
गुरु गोबिंद सिंह जी ने ही गुरु पंरपरा को खत्म करते हुए सभी सिखों को गुरु ग्रंथ साहिब को अपना गुरु मानने का आदेश दिया। जिसके बाद से गुरु ग्रंथ साहिब ही सिखों के मार्गदर्शक हैं। गुरु ग्रंथ साहिब को पवित्र और अहम माना गया। इस प्रकार से गुरु गोबिंद साहिब सिखों के 10वें और अंतिम गुरु थे।
गुरु गोबिंद सिंह को विद्वानों का संरक्षक माना जाता था। कहा जाता है कि उनके दरबार में हमेशा 52 कवियों और लेखकों की उपस्थिति रहती थी। इस लिए उन्हें 'संत सिपाही' भी कहा जाता था।
गुरु गोबिंद सिंह का तीन बार विवाह हुआ था जिससे कुल चार संतानें हुईं थी- जुझार सिंह, जोरावर सिंह, फतेह सिंह और अजीत सिंह।