Naresh Bhagoria
6 Nov 2025
इंदौर -- कहावत बिलकुल सही है, लेकिन यह भी उतना ही सच है कि कुछ अधिकारियों के कारण पूरा पुलिस विभाग बदनाम होता है। पुलिस से मदद की अपेक्षा रखना आजकल अपने आप को बेवजह की परेशानी में डालने जैसा है । यह बात अब एक बार फिर सही साबित हुई है।
तेजाजी नगर क्षेत्र में एक इंजीनियर के साथ हुई लूट की घटना में पुलिस की मिलीभगत ने पूरे विभाग पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जानकारी के अनुसार, लूट की घटना के बाद पुलिस ने आरोपी के साथ सांठगांठ करते हुए एफआईआर में हेराफेरी की। इतना ही नहीं, राजनैतिक दबाव में आकर आरोपियों को संरक्षण दिया गया और पूरे मामले को दबाने की कोशिश की गई। एक कार में सवार तीन लोगों पर 13 अज्ञात बदमाशों द्वारा हमला किया गया, लेकिन पुलिस ने इस गंभीर मामले को “सामान्य मारपीट” बताकर पल्ला झाड़ लिया।
कोर्ट की शरण -
अब फरियादी इंजीनियर ने इस मामले को लेकर न्याय के लिए कोर्ट की शरण लेने की तैयारी कर ली है। उसका कहना है कि जब पुलिस ही अपराधियों की ढाल बन जाए, तो आम आदमी के पास अदालत का दरवाजा ही अंतिम उम्मीद बचता है।
अगस्त माह में बायपास रोड पर स्कोडा कंपनी के इंजीनियर संदीप परिहार के साथ 13 बदमाशों ने लूटपाट की थी। घटना के बाद पुलिस ने सामान्य धाराओं में केस दर्ज किया, जबकि अपराध गंभीर श्रेणी का था। बताया जा रहा है कि राजनीतिक दबाव के चलते आरोपियों को थाने से ही जमानत पर छोड़ दिया गया। पुलिस ने पहले की तरह इस केस में भी “शुभ लाभ” लेकर मामले को रफा-दफा कर दिया।
लगातार समाचार प्रकाशित होने पर तेजाजी नगर टीआई देवेन्द्र मरकाम ने औपचारिकता निभाते हुए केवल एक आरोपी — श्रीमन कुशवाह — को केस में नामजद किया, जबकि बाकी आरोपियों मुन्ना कुशवाह, रोहित कुशवाह और राहुल कुशवाह को बचा लिया। जिन गाड़ी से बदमाशों ने वारदात को अंजाम दिया था, उसे पेश करने के बजाय पुलिस ने कोई दूसरी गाड़ी थाने में जमा कर दी।
फरियादी की कोई मदद नहीं की -
पूरी घटना में टीआई देवेन्द्र मरकाम पर आरोप है कि उन्होंने फरियादी की कोई मदद नहीं की, बल्कि दबाव में आकर घटना को मोड़ दिया। अब फरियादी ने कोर्ट में आवेदन देकर न केवल दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है, बल्कि उन पुलिसकर्मियों पर भी कार्यवाही की गुहार लगाई है जिन्होंने चंद सिक्कों के लालच में न्याय की दिशा ही बदल दी।