vikrant gupta
8 Oct 2025
Mithilesh Yadav
7 Oct 2025
Mithilesh Yadav
7 Oct 2025
गुना। मध्य प्रदेश का गुना जिला इन दिनों बारिश और बाढ़ की भीषण मार झेल रहा है। मंगलवार को शुरू हुई मूसलाधार बारिश ने न सिर्फ शहर की रफ्तार थाम दी, बल्कि दर्द और तबाही की ऐसी तस्वीरें पेश कीं, जिन्हें देख हर आंख नम हो गई। लगातार बारिश से जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। घर उजड़ गए, दुकानें पानी में डूब गईं, और जिले के प्रमुख जलस्रोत कलोरा बांध की दीवार टूटने से हालात इतने बिगड़ गए कि सेना और एनडीआरएफ को राहत कार्य के लिए बुलाना पड़ा। बाढ़ के कारण दो लोगों की मौत भी हो चुकी है। जिले में ऐसा मंजर कभी देखने को नहीं मिला।
बारिश ने गुना शहर की तस्वीर बदल दी है। बुधवार सुबह जब बारिश कुछ थमी, तो लोग अपने उजड़े घर और दुकानें देखकर रो पड़े। नानाखेड़ी मंडी गेट की इलेक्ट्रॉनिक्स दुकान में फ्रिज, कूलर, टीवी, एसी जैसे सामान पानी में तैरते नजर आए। एटीएम मशीनें तक पानी में बह गईं, जिनमें लाखों का कैश था। हाट रोड, खटीक मोहल्ला, बंगला मोहल्ला, और नीचला बाजार जैसे इलाके बुरी तरह प्रभावित हुए। सड़कों की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि सड़कें उखड़ गई हैं और यातायात पूरी तरह ठप हो गया है।
मंगलवार को आई भारी बारिश ने दो परिवारों को मातम दे दिया। पहला हादसा गोपालपुरा तालाब के पास हुआ, जहां पानी के तेज बहाव में एक मजदूर बह गया। मृतक सीताराम, मुहालपुर निवासी था, जो रोजाना की तरह काम पर गया था लेकिन लौट नहीं सका। उसका शव शाम को रिलायंस पेट्रोल पंप के पास मिला। परिजनों ने आरोप लगाया कि शव वाहन तक उपलब्ध नहीं कराया गया।
दूसरी दुखद घटना कर्नलगंज इलाके की है। वहां एक दो मंजिला मकान बारिश की वजह से भरभराकर गिर गया। मलबे में दबने से शरीफ खान (50) की मौत हो गई, जबकि उनके परिवार के अन्य सदस्य घायल हो गए। यह परिवार अब पूरी तरह बेघर हो चुका है और जीवनयापन के साधन भी खत्म हो गए हैं।
सबसे बड़ी चिंता का विषय बमोरी क्षेत्र का कलोरा बांध बन गया है। मूसलाधार बारिश से इसकी वेस्ट बीयर लगभग 10 फीट तक टूट गई, जिससे आसपास के इलाके जलमग्न हो गए। कलोरा बांध टूटने की आशंका में सेना की तैनाती करनी पड़ी। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने सेना और एनडीआरएफ को मौके पर तैनात किया। बांध से तेज बहाव के साथ निकला पानी सिंगापुर, तुमड़ा, कुड़का, बनियानी, बंधा, उमरधा जैसे गांवों में घुस गया। राजस्थान सीमा से लगे गांव मामली, बिलोदा और पचलावदा भी प्रभावित हुए हैं।
प्रशासन ने 3,500 से अधिक लोगों को सतर्क किया और सैकड़ों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल और एसडीएम शिवानी पांडे खुद मौके पर पहुंचे और हालात का जायजा लिया। बांध के पूरी तरह टूटने की आशंका के चलते ग्वालियर से एनडीआरएफ और झांसी से सेना की टुकड़ी बुलाई गई है। यह बांध 1956 में बना था और इसकी जल भराव क्षमता 4.74 एमसीएम है।
न्यू सिटी कॉलोनी, भगत सिंह कॉलोनी, बूढ़े बालाजी, पुरानी छावनी, छबड़ा कॉलोनी, राधा कॉलोनी, बांसखेड़ी, कैंट समेत कई रिहायशी इलाकों में मकान एक-एक मंजिल तक डूब गए। रातभर लोगों ने छतों पर समय काटा। कई जगहों से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। उत्कृष्ट विद्यालय समेत अन्य सुरक्षित भवनों में लोगों को ठहराया गया। बुधवार को लोग पानी उतरने के बाद अपना उजड़ा घर, टूटा सामान और बह चुका जीवन समेटने की कोशिश करते रहे।
प्रशासन की ओर से राहत कार्य जारी है। सेना और एनडीआरएफ की टीमें लगातार बचाव में लगी हुई हैं। आवासीय कॉलोनियों से लेकर ग्रामीण इलाकों तक, राहत शिविरों की व्यवस्था की जा रही है, लेकिन स्थिति विकट है और मदद अपर्याप्त साबित हो रही है। जिलेभर में सैकड़ों परिवार बेघर हो चुके हैं, जिनके पास न खाने को है, न पहनने को कपड़े।