Naresh Bhagoria
26 Nov 2025
जिनेवा में प्लास्टिक पर बातचीत के छठे दौर की शुरुआत हो चुकी है। सवाल यह है- क्या हम उस समस्या का हल ढूंढ पाएंगे, जिसे हमने खुद पैदा किया है? #INC5 #PlasticsTreaty #BreakFreeFromPlastic — ये हैशटैग इस समय थिंक टैंक, गैर-लाभकारी संस्थाएं, एजेंसियां, औद्योगिक संगठन, सरकारी विभाग आदि के सोशल मीडिया पर खूब दिख रहे हैं। लेकिन ये केवल एक छोटी-सी झलक हैं, असलियत में हवा, पानी, मिट्टी, हमारे खून, दिमाग, स्तनदूध, लिवर, कोलन, दिल, प्लेसेंटा, गर्भाशय, तिल्ली और यहां तक कि वीर्य में तैरते प्लास्टिक, माइक्रोप्लास्टिक और नैनोप्लास्टिक कणों की भयावह सच्चाई कहीं अधिक बड़ी है।
सेंटर फॉर इंटरनेशनल एनवायरनमेंटल लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, “प्लास्टिक से हर साल 3.74 ट्रिलियन डॉलर का स्वास्थ्य संबंधी नुकसान होता है और हमारी सरकारें और अर्थव्यवस्थाएं इस छिपे हुए बोझ का खामियाजा उठा रही हैं, जिसका असर हमारे भविष्य पर गंभीर होगा।” प्रमुख मेडिकल जर्नल द लैंसेट ने भी अपने ताजा अंक में चिकित्सा अपशिष्ट से जुड़े प्लास्टिक के प्रभावों को उजागर किया है।
ग्लोबल प्लास्टिक ट्रीटी/आईएनसी-5.2 जो इस हफ्ते जिनेवा में हो रही है, फिलहाल गलत कारणों से चर्चा में है। 179 देशों और उद्योगपतियों को उचित समाधान की ओर ले जाने के बजाय, बातचीत को भटकाना, टालना और खींचना—इन 10 दिनों में नुकसान को और बढ़ा रहा है। जब 2050 तक प्लास्टिक उत्पादन तीन गुना बढ़ने की आशंका है, तो सवाल उठता है, प्रदूषकों को उनके द्वारा किए गए नुकसान के लिए कैसे जिम्मेदार ठहराया जाएगा?
प्लास्टिक प्रदूषण खत्म करने के लिए हाई सीज ट्रीटी एक अहम रास्ता हो सकता है। 2025 में इस संधि को लागू करने के लिए कम से कम 60 देशों की पुष्टि जरूरी है, ताकि हम आने वाली पीढ़ियों के लिए दुनिया के 2/3 हिस्से को ढकने वाले महासागरों की रक्षा कर सकें। धरती का बड़ा हिस्सा समुद्रों से घिरा है और सारा प्लास्टिक समुद्र की तह में जमा होकर समुद्र के ईको—सिस्टम को भारी नुकसान पहुंचा रहा है। समुद्री जीवन से गहरा रिश्ता रखने वाले स्वदेशी समुदाय लंबे समय से संरक्षण के लिए आवाज उठा रहे हैं। अब उनकी आवाज सुनने और उनकी मदद से महासागरों की सुरक्षा व प्रबंधन का समय आ गया है।
फॉसिल फ्यूल उद्योग और वे कंपनियां जो अपने उत्पाद निर्माण में प्लास्टिक का इस्तेमाल करती हैं, अब वैकल्पिक सामग्रियों की ओर देख रही हैं। लेकिन विकल्प चुनते समय ध्यान मुनाफे पर होता है। उनके केंद्र में लोग—पृथ्वी—और मुनाफा नहीं होता है।
क्या वे व्यवसाय, जिन्होंने पिछले 5–6 दशकों में लगातार मुनाफा कमाया है, अब उद्देश्य, लोग और धरती को प्राथमिकता देते हुए एक टिकाऊ भविष्य में निवेश करने को तैयार हैं? अगर हर देश इस वार्ता में अपने-अपने क्षेत्र में 1–2 पुराने बड़े उद्योगों को इस दिशा में आगे बढ़ा दे, तो इसका असर लहरों की तरह फैल सकता है और बाकी को प्रेरित कर सकता है।
व्यापारिक नेताओं के लिए सबसे बड़ा प्रोत्साहन होना चाहिए, प्लास्टिक का मानव स्वास्थ्य पर असर। अगर आने वाले वर्षों में अस्वस्थ कार्यबल, गंभीर बीमारियां, बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल की जिम्मेदारियां और बाहरी परिस्थितियों की अनिश्चितता बढ़ेंगी, तो मुनाफा अपने आप खतरे में आ जाएगा।
हर COP सम्मेलन में युवाओं ने पर्यावरण के मुद्दों पर सवाल उठाए हैं, लेकिन उनकी चिंताएं अब भी हाशिये पर हैं। यह प्लास्टिक संधि सम्मेलन उन देशों और संगठनों के लिए चेतावनी है, जो अपनी युवा आबादी पर गर्व करते हैं। अगर युवाओं की आवाज और चिंताएं इस चर्चा से बाहर रखी गईं, तो परिणाम अधूरा होगा।
युवा उपभोक्ता हैं। चाहे वह खाना हो, कॉस्मेटिक्स, पेय पदार्थ, सेवाएं या तकनीकी उत्पाद, वे अपने चुनावों से बाजार को प्रभावित कर रहे हैं और अपने पसंदीदा प्लेटफॉर्म पर अपनी बात रख रहे हैं। सवाल है, क्या हम उन चैनलों पर उनकी बातें सुन रहे हैं?
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