Aditi Rawat
26 Nov 2025
Naresh Bhagoria
26 Nov 2025
जबलपुर। मप्र उच्च न्यायालय ने पूरे प्रदेश में पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी है। बुधवार को चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने प्रदेश सरकार की ओर से पेश किए गए फोटोग्राफ्स को अमान्य करते हुए दो टूक कहा- ‘आपने ढाई सौ साल पुराने पेड़ तो काट दिए। अब कभी भी आप ऑक्सीजन लेवल वापस नहीं ला सकेंगे। आपके राज्य में हरियाली है। यही कारण है कि आप पेड़ों की महत्व नहीं समझ पा रहे। इसका आकलन वही लोग कर सकते हैं, जो प्रदूषित शहर में रह रहे हैं। आपके अधिकारी एक माह भी वहां नहीं रह सकते। वहां जाते ही उनके गले में इन्फेक्शन हो जाएगा।’ इन टिप्पणियों के साथ बेंच ने सरकार को कहा है कि प्रदेश में अभी तक कुल कितने पेड़ काटे और कितने काटे जाने हैं, उन सभी का ब्यौरा हलफनामे पर पेश किया जाए। मामले पर अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी।
बेंच ने ये टिप्पणियां भोपाल में पेड़ों को काटे जाने से संबंधित मामले पर की हैं। दरअसल, हाईकोर्ट ने भोजपुर मार्ग पर 448 पेड़ों को काटने के मामले पर संज्ञान लिया था और फिर सुनवाई जनहित याचिका के रूप में की। इसी मामले में भोपाल में विधायकों के लिए आवास बनाने के लिए 244 पेड़ों और भोपाल में रेलवे के प्रोजेक्ट के लिए 8 हजार पेड़ों को भी काटे जाने पर नाराजगी जताते हुए बेंच ने संबंधित अफसरों को हाजिर होने कहा था। कोर्ट में बुधवार को पीडब्ल्यूडी के ईई अज श्रीवास्तव, विस सचिवालय के अंडर सेक्रेटरी, प्रशासनिक अधिकारी, नगर निगम आयुक्त, प्रिंसिपल कंजरवेटर आॅफ फॉरेस्ट, विधानसभा के प्रमुख सचिव और पमरे के महाप्रबंधक के स्थान पर डीआरएम भोपाल व वंदे भारत प्रोजेक्ट के इंचार्ज हाजिर हुए।
प्रदेश सरकार की ओर से जवाब के साथ फोटोग्राफ्स भी पेश किए। फोटो देखकर चीफ जस्टिस ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि क्या इसे ट्रांसलोकेशन कहते हैं? जो भी अफसर प्रमाणित कर रहा है कि ये ट्रांसलोकेटेड पेड़ हैं, उन्हें वाकई ट्रेनिंग की जरूरत है। ऐसे अफसरों को प्रदूषित शहरों में एक माह रहने के लिए भेजा जाना चाहिए।
सरकार की ओर से कहा गया कि जितने पेड़ काटे गए हैं, उनके एवज में 20 गुना अधिक पेड़ लगाए जाएंगे। इस बयान पर चीफ जस्टिस ने कहा- आप 20 गुना पेड़ लगा तो देंगे, लेकिन आपको अंदाजा भी है जिन उम्रदराज पेड़ों को आपने काटा है, वैसा बनने में नए पेड़ों को कितने साल लगेंगे?
सागर के जिला कलेक्टर कार्यालय बनाने वहां पर लगे एक हजार पेड़ों की कटाई पर भी बेंच ने कड़ी नाराजगी जताई। सरकार की ओर से कहा गया कि वहां पेड़ नहीं झाड़ियां काटी गई हैं। बेंच ने कहा कि जब खुद कलेक्टर ने ही इन पेड़ों की कटाई के लिए ट्री ऑफिसर से परमीशन नहीं ली, तब हम आम आदमी से क्या उम्मीद करें। बेंच ने सागर कलेक्टर को जवाब पेश करने कहा है।
सुनवाई के दौरान रेलवे की ओर से कहा गया कि वंदे भारत प्रोजेक्ट के लिए भोपाल में 8 हजार नहीं सिर्फ 435 पेड़ काटे गए हैं, जिन्हें काटने के लिए किसी भी प्रकार की इजाजत की जरूरत नहीं है। बेंच ने कहा कि पीपल और बरगद जैसे पेड़ सामान्य हैं, जिन्हें काटने के लिए आपको इजाजत की जरूरत नहीं है। आपने कोई गाइडलाइन नहीं बताई, बल्कि लोकसभा में पेश किए जवाब का हवाला दिया जा रहा।
सुनवाई के दौरान असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल सुनील कुमार जैन ने बेंच को बताया कि काटे गए 435 पेड़ों के एवज में रेलवे ने 12853 पौधे लगाने का निर्णय लिया है। यह भी निर्णय लिया गया है कि इन सभी पौधों की अगले 3 साल तक देखभाल भी की जाएगी, ताकि वो अच्छी तरह से पनप सकें।
बेंच ने कहा कि मप्र वृक्षों का परिरक्षण अधिनियम 2001 की धारा 4 में ट्री ऑफिसर के पद पर वन विभाग के अधिकारी, नगर निगम कमिश्नर या नगर पालिका के सीएमओ को ट्री ऑफिसर के पद पर नियुक्ति के प्रावधान हैं। बावजूद इसके पूरे प्रदेश में एक भी ट्री ऑफिसर नहीं है और अफसर अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं।