Mithilesh Yadav
10 Sep 2025
प्रवीण श्रीवास्तव
भोपाल। 18 साल की रीना (परिवर्तित नाम) कॉलेज के दोस्त को मन ही मन प्यार करती थी। एकतरफा प्यार में धोखा मिलने से उदास हो गई और कीटनाशक पी लिया। भाई ने देख लिया और उसे अस्पताल ले जाया गया। इलाज के बाद ठीक हो गई लेकिन 3 महीने बाद फिर आत्महत्या की कोशिश की। इसके बाद काउंसलिंग से उसे अहसास हुआ कि आत्महत्या गलत कदम है। डिप्रेशन से उबरने के बाद रीना एनएचएम के 'गेट कीपर्स' प्रोग्राम से जुड़ कर मानसिक अवसाद से जूझ रहे लोगों की मदद करती हैं। आज वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे है। इस अवसर पर पीपुल्स अपडेट ऐसे गेट कीपर्स की कहानी बता रहा है जो अब दूसरों का जीवन बचा रहे हैं। शहर के पास ही एक गांव में रामस्वरूप (53) को दिल की गंभीर बीमारी थी। डॉक्टर ने ओपन हार्ट सर्जरी की बात कही, तो वह डिप्रेशन में आ गए। फांसी से लटक गए, लेकिन परिजनों ने बचा लिया। यह बात गांव की आशा को पता चली तो वह उन्हें को एनएचएम के टेलीमानस हेल्पलाइन और जिला अस्पताल के मनकक्ष ले गई। काउंसिलिंग के बाद रामस्वरूप ठीक हैं और दूसरों को जागरूक कर रहे हैं। आशा कार्यकर्ता के साथ मिलकर रामस्वरूप लोगों को जागरूक कर रहे हैं।
प्रदेश में 2020 में 14578 लोगों ने आत्महत्या की। 2021 में कुल 14 965 लोगों ने आत्महत्या की, जबकि 2022 में 15, 386 लोगों ने आत्महत्या की। प्रदेश के चार बड़े शहरों में 2021 में 214 लोगों ने आत्महत्या की जबकि 2022 में यह आंकड़ा बढ़कर 307 हो गया। ग्वालयिर में 2021 में कुल 320 लोगों ने आत्महत्या की थी, इसके विपरीत 2022 में यह आंकड़ा घट कर 213 हो गया। भोपाल में 2021 में कुल 566 लोगों ने आत्महत्या की जबकि 2022 में यह संख्या कुछ घटकर 527 हो गई। इंदौर में 2021 में कुल 737 लोगों ने आत्महत्या की जबकि 2022 में आत्महत्या का यह आंकड़ा मामूली बढ़कर 746 हो गया।
नेशनल हेल्थ मिशन के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. शरद तिवारी बताते हैं कि आत्महत्या रोकने करीब एक साल पहले गेट कीपर्स प्रोग्राम शुरू किया था। इसके तहत स्कूल, कॉलेज, दफ्तर में लोगों को ट्रेनिंग देकर आत्महत्या के संभावित मामलों के संकेतों की जानकारी दी जाती है। इस योजना को राजस्थान भी अपना रहा है।
जागरूकता बहुत जरूरी है। परिजन और दोस्त की सबसे पहले लोग होते हैं, जो इस तरह की मानसिकता को पहचान सकते हैं। ऐसे में गेट कीपर्स के रूप में ट्रेनिंग देकर इन मामलों को रोका जा सकता है।
डॉ. राहुल शर्मा, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट, जेपी अस्पताल