Manisha Dhanwani
4 Nov 2025
Peoples Reporter
4 Nov 2025
गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने गाजियाबाद में एक हैरान करने वाला खुलासा करते हुए ‘वेस्ट आर्कटिक दूतावास’ के नाम से संचालित फर्जी मिशन का पर्दाफाश किया है। आरोपी हर्षवर्धन जैन को गिरफ्तार कर लिया गया है, जो खुद को काल्पनिक देशों का डिप्लोमैट बताकर लोगों को धोखा दे रहा था। जांच में सामने आया है कि यह कोई मामूली धोखाधड़ी नहीं, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का सुनियोजित ठगी और हवाला नेटवर्क था।
एसटीएफ के मुताबिक, हर्षवर्धन जैन गाजियाबाद के कविनगर स्थित KB-35 में किराए पर मकान लेकर वहां खुद को ‘वेस्ट आर्कटिक’, ‘पुलावाविया’, ‘लोडोनिया’ और ‘सबोरगा’ जैसे देशों का कॉन्सुल एंबेसडर बताता था। इन नामों के कोई असली देश नहीं हैं, बल्कि यह सब उसके द्वारा गढ़ी गई एक पूरी नकली डिप्लोमैटिक दुनिया थी, जिसमें वह पूरी गंभीरता के साथ अपना साम्राज्य चला रहा था।
कार्रवाई के दौरान एसटीएफ को आरोपी के कब्जे से 44 लाख 70 हजार रुपए नकद, चार लग्जरी गाड़ियां (जिन पर डिप्लोमैटिक VIP नंबर प्लेट लगी थीं), 18 और वीआईपी नंबर प्लेटें, 34 अलग-अलग देशों और कंपनियों की मोहरें और विदेशी मुद्रा मिली हैं। साथ ही, माइक्रोनेशन देशों के 12 डिप्लोमेटिक पासपोर्ट, दो फर्जी प्रेस कार्ड और दो फर्जी पैन कार्ड भी बरामद हुए हैं।
हर्षवर्धन अपनी पहचान को प्रतिष्ठित और प्रभावशाली दिखाने के लिए प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और अन्य बड़े नेताओं के साथ फर्जी मॉर्फ की गई तस्वीरों का इस्तेमाल करता था। वह इन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर डालकर लोगों पर यह प्रभाव डालता था कि वह एक वैध डिप्लोमैटिक प्रतिनिधि है और उसकी पहुंच शीर्ष स्तर तक है।
एसटीएफ की जांच में सामने आया है कि हर्षवर्धन न केवल लोगों को विदेश में काम दिलाने के नाम पर मोटी रकम वसूलता था, बल्कि वह हवाला के जरिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पैसों का लेन-देन भी करता था। शेल कंपनियों के माध्यम से उसने एक जाल बिछा रखा था, जो पूरी तरह से आर्थिक अपराध की श्रेणी में आता है। उसका नेटवर्क कई राज्यों और विदेशी संपर्कों तक फैला हुआ है।
STF को इस फर्जीवाड़े की सूचना पहले ही मिल चुकी थी, जिसके बाद केंद्रीय एजेंसियों के जरिए विदेश मंत्रालय को जानकारी दी गई। मंत्रालय की ओर से प्राथमिक जांच और पुष्टि के बाद ही इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) और अन्य केंद्रीय एजेंसियां भी जांच में शामिल हो रही हैं।