Shivani Gupta
20 Oct 2025
शाहिद खान
भोपाल। राजधानी में एक के बाद एक मेफेड्रोन (एमडी) ड्रग्स फैक्ट्रियां पकड़ी जा रही हैं। बीते महज 10 महीने में भोपाल में दूसरी एमडी ड्रग बनाने की फैक्ट्री पकड़ी गई है। इन दोनों फैक्ट्रियों में एक कॉमन बात ये है कि ये फैक्ट्रियां शहर के सरहदी इलाकों में चल रही थीं। पीपुल्स समाचार की टीम दोपहर 3.30 बजे करोंद चौराहे से जगदीशपुर के लिए निकली। लांबाखेड़ा तिराहे पर हमने जगदीशपुर (इस्लाम नगर) जाने वाली सड़क पकड़ी और आगे बढ़ गए करीब एक किमी का सफर तय कर 4 बजे हम इंदौर-सीहोर हाई-वे पर पहुंचे। यहां हमें सामने ही जगदीशपुर का साइनबोर्ड नजर आया। हम आगे बढ़ गए, सेंट-डीसी स्कूल से होते हुए करीब 10 मिनट का सफर कर हम रोशन मस्जिद के पास रुके। यहां चाय की दुकान पर कुछ लोग बैठे थे। उनसे ड्रग फैक्ट्री के बारे में बात की, तो उन्होंने कुछ बोले बिना ही इस्लाम नगर किला गेट की तरफ इशारा कर दिया। अब हम किला गेट की ओर चल दिए। 4.30 बजे हमें पुलिया पर एक व्यक्ति बैठा मिला।
उससे ड्रग फैक्ट्री के बारे में पूछा तो उसने बताया कि ज्यादा कुछ पता नहीं। मस्जिद के पास की कॉलोनी में शायद कोई फैक्ट्री पकड़ी गई है। यहां से इस्तिमा साइट होते हुए बैरसिया मेन रोड पर हम पहुंच गए। यहां चाय की दुकान पर हमने फिर कुछ पता करने की कोशिश की जो कामयाब हुई। हमें पता चला कि गुलफाम कॉलोनी में फैक्ट्री चल रही थी। रास्ता पूछा तो एक व्यक्ति ने सड़क किनारे कच्चे रास्ते की तरफ इशारा कर दिया। हम रास्ते पर चल पड़े, जो कीचड़ और पानी से भरा हुआ था। 100 से 200 या उससे भी ज्यादा दूरी पर इक्का-दुक्का मकान नजर आ रहे थे, जो खेतों में बने थे। करीब 200 मीटर अंदर चलने के बाद हमने एक राहगीर से ड्रग फैक्ट्री के बारे में पूछा तो उसने सामने गलीनुमा कच्ची सड़क की तरफ इशारा कर दिया। करीब हम अंदर पहुंचते इससे पहले ही दो पुलिस वालों ने हमें आगे जाने से रोक दिया। काफी जद्दोजहद के बाद भी हम आगे नहीं जा सके।
टीम ने तय किया कि दूसरे रास्ते से ड्रग फैक्ट्री वाले मकान तक पहुंचेंगे। दूÑसरा रास्ता मिला पर वह खेत से होकर जा रहा था, जहां पानी और कीचड़ था जिससे पैदल चलना भी मुश्किल था। काफी भटकने के बाद चमन महल के मेन गेट से करीब 200 मीटर दूरी पर दो मकानों के बीच एक गलीनुमा सड़क नजर आई। इस रास्ते पर आगे बढ़ते ही लगभग 100 मीटर तक सीसी रोड मिली और उसके बाद कच्चा रास्ता शुरू हो गया। हम जैसे-जैसे आगे बढ़े कीचड़ और पानी की वजह से रास्ता मुश्किल होता गया। करीब 1 किमी चलने के बाद हम गुलफाम कॉलोनी तक पहुंच गए। यहां भी आगे कच्चा रास्ता था और उस पर घुटनों तक पानी था। ग्रामीणों ने बताया कि यहां अक्सर रात के कारों की आवाजाही होती थी, जो संदिग्ध लगती थी।
मकानों के बीच की दूरी की बात करें तो उनका फासला 100 से 200 मीटर या इससे भी ज्यादा है। यह इलाका मूल जगदीशपुर गांव के करीब डेढ़ किमी दूर है, हालांकि आता जगदीशपुर इलाके में ही है। ग्रामीणों ने बताया कि वह आने-जाने के लिए मेन रोड का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि गुलफाम कॉलोनी वाले रोड का इस्तेमाल शॉर्ट कट की तरह किया जाता है। कच्चा रास्ता होने की वजह से आने-जाने से बचते हैं। बिजली कंपनी ने 14 अगस्त को जगदीशपुर में पकड़ी गई एमडी ड्रग फैक्ट्री में अस्थाई बिजली कनेक्शन दिया है। इस बारे में जब बिजली कंपनी के जीएम (ग्रामीण) जाहिद खान से बात की गई तो उन्होंने बताया कि रज्जाक खान ने टेंपरेरी कनेक्शन के लिए आवेदन दिया था। जिस पर उसे 14 अगस्त को कनेक्शन दिया गया। जब उनसे पूछा गया कि बिजली कंपनी ने यह नहीं पूछा कि कौन सी फैक्ट्री चल रही है और लोड क्या है, तो वह बात को टाल गए।