Priyanshi Soni
22 Oct 2025
Priyanshi Soni
22 Oct 2025
Peoples Reporter
22 Oct 2025
Aakash Waghmare
22 Oct 2025
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने डीपफेक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से तैयार किए जा रहे फर्जी कंटेंट पर रोक लगाने के लिए आईटी नियमों में संशोधन का प्रस्ताव रखा है। यह मसौदा इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा तैयार किया गया है, जिसका उद्देश्य सोशल मीडिया पर असली और नकली कंटेंट के बीच स्पष्ट पहचान सुनिश्चित करना है।
प्रस्ताव के अनुसार, अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे कि फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स को यह सुनिश्चित करना होगा कि यदि कोई कंटेंट एआई या अन्य कंप्यूटर जनित तकनीक से तैयार किया गया है, तो उसे स्पष्ट रूप से लेबल या मार्क किया जाए। वीडियो/फोटो सामग्री में यह लेबलिंग कम से कम 10 प्रतिशत स्क्रीन क्षेत्र पर होनी चाहिए, ताकि यूजर्स तुरंत पहचान सकें कि वह कंटेंट सिंथेटिक है। वहीं, ऑडियो कंटेंट के लिए यह नियम लागू करते हुए कहा गया है कि उसकी पहली 10 प्रतिशत अवधि तक यह चेतावनी सुनाई देनी चाहिए।
इसके अलावा, प्रस्ताव में यह भी कहा गया है, सोशल मीडिया कंपनियों को यह जांचने के लिए तकनीकी उपाय अपनाने होंगे कि यूजर द्वारा अपलोड किया गया कंटेंट वास्तविक है या नहीं। साथ ही, यूजर्स से कंटेंट अपलोड करते समय यह भी डिक्लेरेशन लेना अनिवार्य होगा कि उनकी सामग्री असली है या AI से बनी हुई।
मंत्रालय ने कहा है कि हाल के महीनों में डीपफेक ऑडियो और वीडियो के कई मामले तेजी से सामने आए हैं, जो सोशल मीडिया पर वायरल हुए और जिनका उपयोग गलत जानकारी फैलाने, राजनीतिक छवि को नुकसान पहुंचाने, धोखाधड़ी करने और व्यक्तियों की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए किया गया।
मंत्रालय ने यह भी बताया कि वैश्विक स्तर पर डीपफेक तकनीक को लेकर गंभीर चिंता जताई जा रही है, क्योंकि यह तकनीक इतनी उन्नत हो चुकी है कि इससे बनाए गए फर्जी वीडियो और तस्वीरें असली लगती हैं, जो समाज में भ्रम और अफवाह फैलाने का बड़ा माध्यम बनती जा रही हैं।
आईटी मंत्रालय ने इस मसौदे पर जनता और विशेषज्ञों से सुझाव और टिप्पणियां मांगी हैं, जिसकी अंतिम तिथि 6 नवंबर 2025 निर्धारित की गई है। सरकार का कहना है कि इन प्रस्तावित संशोधनों का उद्देश्य न केवल यूजर्स को जागरूक बनाना है, बल्कि फर्जी कंटेंट पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित करना और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से जुड़ी नई तकनीकों के लिए एक सुरक्षित माहौल तैयार करना भी है।