शहर में अक्सर होने वाली लेडीज ग्रुप की गेदरिंग में फैशन, फूड और शॉपिंग के जरिए एंजॉयमेंट को तवज्जो दी जाती है। इससे मन तो तरोताजा महसूस करता है लेकिन इसमें मिलने वाली खुशी क्षणिक होती है, यह हमेशा कायम नहीं रहती। इसी बात को सोचते हुए अब शहर में ऐसी लेडीज गेदरिंग होना शुरू हो रही हैं, जो कि मीनिंगफुल हो, जिसमें कहानियों-किस्सो के साथ इंसान खुद को प्यार करना सीखता है। हाल में कुछ ऐसी वर्कशॉप हुईं हैं, जिसमें महिलाओं ने सेल्फ लव को लेकर सेशन अटेंड किए। यह विषय इन दिनों काफी चर्चा में भी है, क्योंकि अभी तक सेल्फ लव को स्वार्थीपन से जोड़ा गया। क्योंकि कभी कोई इसके बारे में बैठकर बात करने वाला ही नहीं मिला। भोजपुर क्लब में सखी रे और उत्कर्षिनी ग्रुप ने मिलकर यह पहल की है कि वे समय-समय पर महिलाओं, पुरुषों व कपल से जुड़े टॉपिक्स पर एक्टिविटीज के माध्यम से नए विषयों को जानेंगे।
अक्सर जब हम सेल्फ लव की बात करते हैं तो कुछ लोगों को लगता है कि खुद से प्यार करने का अर्थ है किसी और की भावनाओं की परवाह न करना लेकिन इसका यह अर्थ कतई नहीं है। इस बारे में आजकल वेलनेस कोच यूट्यूब वीडियो व रील्स में बात करते हुए भी दिख रहे हैं। हाल में शहर में हुई एक वर्कशॉप में मटके की कहानी से सेल्फ लव के बारे में बताया गया। एक महिला के पास दो मटके थे, जिनमें वे पानी भरकर लाती थी, लेकिन एक मटका चटक गया और उससे पानी रिसने लगा तो महिला ने उस मटके को अलग रख दिया।
यह सच है कि महिलाओं ने खुद को लेडीज गेदरिंग में कुछ विषयों तक सीमित कर लिया है जबकि उन्हें लंबे समय की खुशी पर काम करना चाहिए जिसे लेकर हमने कुछ सेशन प्लान किए और बहुत सी जागरुक महिलाओं ने सेल्फ लव को लेकर अपनी जानकारी को बढ़ाया। एक तरह से सभी ने खुद को ब्रेन फूड दिया। वर्कशॉप की मेंटर ने सभी को सेल्फ लव पर लिखने का टास्क दिया। - बिंदु रमाकांत घाटपांडे, संस्थापक, उत्कर्षिनी समूह
इस बारे में वेलनेस और हैप्पीनेस कोच ज्योति पांडे कहती हैं, दूसरों की परवाह करते हुए अपनी भावनाओं के प्रति सचेत रहना संभव है। लेकिन अगर आप पहले अपना ख्याल नहीं रखते हैं तो दूसरे लोगों की परवाह करना मुश्किल होगा। हम सभी में किसी न किसी तरह की कमियां। मसलन, कोई कार होते हुए कार ड्राइव करना नहीं जानता कोई अपने रूप-रंग से असंतुष्ट हैं, किसी को अपने बोलने के तरीके से समस्या है तो इसे पहले स्वीकार करें कि यह कमी मेरी है और इसमें कोई बुराई नहीं। जब आप इसे स्वीकारेंगे तो फिर अगला कदम होगा कि इसे ठीक करने के लिए कुछ प्रयास करेंगे, लेकिन यहां एक बात गौर करने वाली यह है कि यदि आपको अपने मोटापे या अपनी कमियों से कोई समस्या नहीं है तो फिर आप दूसरों को दिखाने के लिए बदलने का प्रयास न करें जब तक कि आप खुद महसूस न करें कि बदलने की जरूरत है। - ज्योति पांडे, वेलनेस कोच