भोपाल। मध्यप्रदेश विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री के चयन होते ही डिप्टी सीएम और विधानसभा अध्यक्ष जैसे पदों पर भी वरिष्ठ नेताओं की ताजपोशी का फैसला हो सकता है। अन्य वरिष्ठ नेताओं को मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण विभागों से संतुष्ट करने का प्लान है। छत्तीसगढ़ की तर्ज पर मप्र में भी कम से कम दो डिप्टी सीएम का फॉर्मूला लागू हो सकता है। इनमें एक महिला भी संभावित है क्योंकि भाजपा अपनी अप्रत्याशित चुनावी जीत में लाड़ली बहना योजना का कमाल भी मान रही है।
भाजपा हाईकमान इस फॉर्मूला पर गंभीरता से मनन कर रहा है। दो दशक पहले तक मप्र में कांग्रेस की दिग्विजय सरकार में यह व्यवस्था थी। संविद सरकार में (1967) सबसे पहले मप्र में वीरेंद्र कुमार सखलेचा को उपमुख्यमंत्री बनाया गया। तब पं.दीनदयाल उपाध्याय नेता चयन के लिए भोपाल आए थे। उन्होंने ही फॉर्मूला लागू कराया था।
भाजपा हाईकमान सरकार गठन के साथ ही सीएम पद के दावेदार नेताओं को सम्मानजनक पद देकर साधने की रणनीति पर काम कर रहा है। जातीय समीकरण साधने के लिए दो डिप्टी सीएम तैनात किए जाने का प्रस्ताव है। अन्य विकल्प भी हैं, इनमें राजनीतिक, क्षेत्रीय और जातीय संतुलन बनाने के फॉर्मूले हैं। मुख्यमंत्री पद से चूके किसी वरिष्ठ नेता को विधानसभा अध्यक्ष की जवाबदारी सौंपी जा सकती है।
ओबीसी नेताओं में शिवराज सिंह चौहान के अलावा केंद्रीय मंत्री सिंधिया, प्रहलाद पटेल व राकेश सिंह सहित कुछ अन्य नेताओं की दावेदारी है। अजा वर्ग से जगदीश देवड़ा, तुलसीराम सिलावट, हरिशंकर खटीक व प्रभुराम चौधरी जैसे वरिष्ठ नेता हैं। ट्राइबल नेताओं में से विजय शाह, निर्मला भूरिया, संपतिया उईके और ओमप्रकाश धुर्वे को उनके अनुकूल पदों पर एडजस्ट किए जाने की कवायद चल रही है।
प्रदेश में ओबीसी वर्ग की आबादी सबसे ज्यादा है। भाजपा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पहले इसी वर्ग की उमा भारती और बाबूलाल गौर की भी बतौर सीएम ताजपोशी कर चुकी है। ओबीसी के अलावा प्रदेश के सवर्ण, अनुसूचित जाति और ट्राइबल वर्ग को एडजस्ट करने की चुनौती भी है। भाजपा हाईकमान आगामी लोकसभा चुनाव 2024 को देखते हुए सारी जमावट करने में जुटा है। सामान्य वर्ग से नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, गोपाल भार्गव सहित अन्य नेता भी हैं। महिला नेत्रियों में रीति पाठक, मालिनी गौड़ और अर्चना चिटनिस के नाम भी हो सकते हैं।