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ई-कॉमर्स और ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम बना आतंकियों का नया हथियार, FATF रिपोर्ट में खुलासा- पुलवामा अटैक के लिए Amazon से मंगाया गया विस्फोटक

नई दिल्ली। वैश्विक आतंकवाद की फंडिंग पर निगरानी रखने वाली संस्था FATF (Financial Action Task Force) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। रिपोर्ट के अनुसार, आतंकवादी अब पारंपरिक रास्तों के बजाय आधुनिक तकनीक और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का दुरुपयोग कर रहे हैं। Amazon जैसी ई-कॉमर्स वेबसाइट से खतरनाक सामानों की खरीदारी और PayPal जैसे डिजिटल पेमेंट सिस्टम के माध्यम से वित्तीय लेनदेन कर, वे भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। रिपोर्ट में पुलवामा और गोरखनाथ हमलों को केस स्टडी के रूप में पेश करते हुए बताया गया कि आतंकियों ने किस प्रकार इन डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल किया।

Amazon से खरीदा गया एल्युमिनियम पाउडर

FATF की रिपोर्ट में 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए भीषण आतंकी हमले का उल्लेख किया गया है, जिसमें 40 भारतीय जवान शहीद हुए थे। रिपोर्ट के अनुसार, इस आत्मघाती हमले में उपयोग किए गए इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) में एक महत्वपूर्ण घटक एल्युमिनियम पाउडर (EPOM) था, जिसे Amazon जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से खरीदा गया था। इस पाउडर का प्रयोग विस्फोट की तीव्रता को बढ़ाने के लिए किया गया। यह पहली बार है जब किसी अंतरराष्ट्रीय संस्था ने स्पष्ट रूप से ई-कॉमर्स साइट के माध्यम से हमले की सामग्री की खरीद को प्रमाणिक किया है।

भारतीय जांच एजेंसियों ने हमले के पीछे जैश-ए-मोहम्मद का हाथ बताया था और 19 आरोपियों के खिलाफ UAPA और आतंकवादी फंडिंग से जुड़े प्रावधानों के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। इनमें सात विदेशी नागरिक भी शामिल थे, जिनकी चल-अचल संपत्तियों को जब्त किया गया। रिपोर्ट इस बात को उजागर करती है कि कैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स की निगरानी की कमी का फायदा उठाकर आतंकवादी घातक योजनाएं बना रहे हैं।

PayPal और VPN के जरिए गोरखनाथ हमले के आरोपी ने भेजा विदेशी फंड

FATF की रिपोर्ट में अप्रैल 2022 में गोरखनाथ मंदिर, उत्तर प्रदेश में हुए आतंकी हमले की भी गहन जांच का उल्लेख है। इस मामले में आरोपी एक आईएसआईएल (इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड द लेवेंट) समर्थक था, जिसने मंदिर परिसर में घुसकर सुरक्षा कर्मियों पर हमला किया था। उसे घटनास्थल पर ही गिरफ्तार कर लिया गया था।

रिपोर्ट बताती है कि आरोपी ने PayPal के माध्यम से कुल 669,841 रुपए (लगभग $7,736) की विदेशी फंडिंग ट्रांसफर की। इसके लिए उसने वीपीएन सेवाओं का सहारा लिया, ताकि अपना आईपी एड्रेस छुपा सके और ट्रांजैक्शन की निगरानी से बच सके। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान उसने अपने बैंक खाते से VPN प्रोवाइडर को भुगतान भी किया था। जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी को लगभग 10,323 रुपए विदेशी स्रोत से प्राप्त हुए थे और उसने ISIL समर्थकों को यह रकम भेजी।

जब पेपाल को इन संदिग्ध ट्रांजैक्शनों की जानकारी मिली, तो उसने आरोपी का खाता तत्काल निलंबित कर दिया, जिससे आगे कोई अवैध लेनदेन न हो सके।

स्टेट स्पॉन्सर्ड टेररिज्म को लेकर भी जताई चिंता

FATF ने अपनी रिपोर्ट में केवल आतंकी संगठनों की डिजिटल गतिविधियों पर ही नहीं, बल्कि स्टेट स्पॉन्सर्ड टेररिज्म यानी राज्य प्रायोजित आतंकवाद पर भी चिंता जाहिर की है। रिपोर्ट में बताया गया कि कुछ सरकारें सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से आतंकवादी संगठनों को वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण, रसद और सामग्री सहायता प्रदान कर रही हैं। भारत की ओर से बार-बार पाकिस्तान पर इस प्रकार के आरोप लगाए गए हैं कि वह आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह और वित्तीय मदद प्रदान करता है। भारत ने यह भी कहा है कि इसी वजह से पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट में डालना जरूरी था।

FATF की रिपोर्ट इन दावों को बल देती है और कहती है कि कुछ आतंकवादी कृत्यों के पीछे सरकारों की भागीदारी या समर्थन की भी भूमिका रही है, जिसे अब वैश्विक स्तर पर गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

फिनटेक कंपनियों की भूमिका पर भी उठे सवाल

FATF का कहना है कि पिछले एक दशक में फिनटेक कंपनियों और डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म्स में तेजी से बढ़ोतरी हुई है, जिससे आतंकी संगठनों के लिए इनका उपयोग करना आसान हो गया है। ऑनलाइन वॉलेट, प्रीपेड कार्ड, क्रिप्टोकरेंसी और वर्चुअल बैंकिंग के माध्यम से आतंकवादी बिना भौगोलिक सीमाओं के पैसे भेज और प्राप्त कर रहे हैं। इस रिपोर्ट ने दुनियाभर की सरकारों और प्राइवेट फिनटेक कंपनियों को चेताया है कि वे अपनी सुरक्षा प्रणालियों को और मजबूत करें।

 

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