Naresh Bhagoria
25 Nov 2025
धीरज जॉनसन, दमोह। रोमांचक फाइनल मुकाबले में नेपाल को हराकर भारत ने पहला टी-20 दृष्टिबाधित (ब्लाइंड) महिला क्रिकेट विश्व कप जीत लिया है। जीत में मप्र के दमोह की सुषमा पटेल ने अहम भूमिका निभाई। 11 नवंबर से 23 नवंबर तक दिल्ली, बेंगलुरु और कोलंबो में हुए इस प्रतिष्ठित टूनार्मेंट में प्रदेश की बेटी ने जबर्दस्त प्रदर्शन करके भारत की शानदार जीत की नींव रखी। खास बातचीत में सुषमा पटेल ने कहा, यह सफलता क्रिकेट एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड और समर्थनम ट्रस्ट फॉर द डिसेबल के प्रयासों का नतीजा है। पहले दृष्टिबाधित महिला वर्ल्ड कप में जीत न केवल हमारी पहचान को मजबूत करेगी, बल्कि समाज को संदेश भी देगी कि प्रोत्साहन मिले तो दृष्टिबाधित भी देश का नाम रोशन कर सकते हैं। माता-पिता ने कभी भी मेरी शारीरिक स्थिति को मेरी कमजोरी नहीं बनने दिया।
सुषमा ने राष्ट्रीय टूर्नामेंट में 3 में से 2 मैचों में शतक लगाकर प्लेयर ऑफ द सीरीज का खिताब जीता। भारत-नेपाल द्विपक्षीय सीरीज के लिए भारतीय टीम का गठन किया तो सुषमा को टीम की कप्तान नियुक्त किया गया था। 2023 में इंग्लैंड में वर्ल्ड ब्लाइंड गेम्स में भी सुषमा ने भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता। फाइनल मैच में डायरेक्ट थ्रो से एक विकेट लेकर मैच का रुख बदला। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक्स पर ट्वीट कर दृष्टिबाधित महिला क्रिकेट टीम को अजेय रहकर वर्ल्ड कप जीतने की बधाई दी है। उन्होंने कहा कि यह कठिन परिश्रम, टीम वर्क और समर्पण का उदाहरण है।
फिजिकल एजुकेशन और स्पोर्ट्स में स्नातक सुषमा का क्रिकेट का सफर 2022 में भोपाल से शुरू हुआ, जब उन्होंने मुख्यधारा के डिवीजन मैचों के ट्रायल दिए। हालांकि बॉल को जज करने में उन्हें कठिनाई महसूस हुई, लेकिन कोच ने उन्हें ब्लाइंड क्रिकेट और सीएबीएमपी के बारे में जानकारी दी तो कुछ समय में वह सहज हो गईं। इसके बाद फरवरी 2022 में राष्ट्रीय चयन शिविर में शानदार प्रदर्शन किया और मप्र की महिला ब्लाइंड क्रिकेट टीम में जगह बनाई।
23 वर्षीय सुषमा पटेल ने बताया कि उनका जन्म दमोह जिले के ग्राम घानामैली में एक साधारण किसान परिवार में हुआ। सुषमा के पिता बाबूलाल पटेल और मां लक्ष्मी रानी पटेल ने कठिन परिस्थितियों में खेती-किसानी करते हुए उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। सुषमा ने बताया कि बचपन में एक दुर्घटना के कारण मेरी दृष्टि प्रभावित हुई, लेकिन मेरे माता-पिता ने कभी मुझे कमजोर नहीं होने दिया। उनकी लगातार प्रेरणा की वजह से मैंने जीवन में कभी हार नहीं मानी और सपनों का पीछा किया।