अनुज मीणा- अगर आपका बच्चा भी सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताता है तो आप उस पर नजर रखना शुरू कर दें, क्योंकि वह साइबर ग्रूमिंग का शिकार हो सकता है। साइबर ग्रूमिंग बढ़ता हुआ ऐसा खतरा है, जिससे बच्चे और किशोर सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। इसके माध्यम से बच्चे यौन शोषण तक का शिकार भी हो जाते हैं। ऐसे में पैरेंट्स की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वे अपने बच्चों को इस तरह के खतरे से न सिर्फ बचाएं बल्कि उन्हें सावधान भी करें। साइबर ग्रूमिंग तब होती है जब कोई व्यक्ति किसी बच्चे से ऑनलाइन दोस्ती करता है और यौन शोषण या भविष्य में तस्करी के इरादों से उसके साथ भावनात्मक संबंध बनाता है।
बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं। उन्हें अन्य घरेलू गतिविधियों में शामिल करें। बच्चों को ऑनलाइन खतरों जैसे साइबर बुलिंग, साइबर ग्रूमिंग, स्टाकिंग आदि के बारे में जागरूक करें। बच्चों की एक्टीविटीज पर नजर रखें। ऑनलाइन एक्टीविटीज के लिए समय और दिशा निर्देश निर्धारित करें। उन्हें जिम्मेदारी के साथ सोशल मीडिया का उपयोग करना सिखाएं जैसे- मजबूत प्राइवेसी सेटिंग्स का चयन करना, अजनबियों से फ्रेंडशिप नहीं करना आदि।
साइबर ग्रूमिंग का पता चलने पर परिजनों, शिक्षक, दोस्त और रिश्तेदारों को इसके बारे में बताएं। साथ ही 1930 और वेबसाइट https://www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
इसमें 20 से 25 साल की लड़कियों द्वारा 12 से 15 साल के लड़कों को टारगेट बनाया जा रहा है। उन्हें न्यूड कॉलिंग के जरिए अट्रेक्ट किया जाता है और फिर उनसे पैसों की मांग की जाती है। इससे बचाव के लिए पैरेंट्स अपने बच्चों के मोबाइल में पैरेंट्स कंट्रोल ऑन कर दें, फैमिली लिंक ऐप डाउनलोड कर बच्चों की ऑनलाइन एक्टिविटीज पर नजर रखें और बच्चों के मोबाइल में अनलिमिटेड रिजार्च कभी न कराएं। पिछले दिनों साइबर ग्रूमिंग का एक मामला मेरे पास आया था, जिसमें एक लड़का फंस गया था। उसने घर से 30 हजार रुपए निकालकर उन्हें दे भी दिए। - हेमराज सिंह चौहान, सीनियर कंसल्टेंट, आईटी एंड साइबर सिक्योरिटी
साइबर ग्रूमिंग में बच्चों से ऑनलाइन दोस्ती कर उनके विश्वास को जीतकर फंसाया जाता है। इसके बाद उनके न्यूड फोटो लेकर ब्लैकमेल किया जाता है। साथ ही उन्हें ड्रग्स लेने या मानव तस्करी में भी यूज किया जाता है। इसके लिए पैरेंट्स और टीचर्स को चाहिए कि वह बच्चों को इंटरनेट फ्रेंडली बनाएं। स्कूल में अन्य सब्जेक्ट्स की तरह डेटा सेंटर इंफ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट (डीसीआईएम) को सब्जेक्ट की तौर पर पढ़ाया जाए, जिससे बच्चों को भी इंटरनेट के बारे में जानकारी हो। साथ ही बच्चों को भी चाहिए कि वह भी सोशल मीडिया पर अजनबियों के साथ दोस्ती न करें। - रघु पांडे, आईटी एंड साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट