Anuraj Kumar
16 Oct 2025
हेल्थ डेस्क। दुनियाभर में कोरोना वायरस से बचाव के लिए दी गई mRNA वैक्सीन अब कैंसर रोगियों के लिए भी नई उम्मीद बनकर सामने आई है। अमेरिका की एमडी एंडरसन कैंसर सेंटर और यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा द्वारा की गई एक हालिया रिसर्च में यह पाया गया कि, जिन कैंसर मरीजों को mRNA आधारित कोविड-19 वैक्सीन (Pfizer या Moderna) दी गई, उनका सर्वाइवल रेट लगभग 5 गुना ज्यादा रहा। खासकर उन मरीजों में जो इम्यूनोथेरेपी ले रहे थे।
रिसर्च के अनुसार, जिन मरीजों को कैंसर के इलाज के दौरान mRNA वैक्सीन दी गई, उनके जीवनकाल में उल्लेखनीय सुधार देखा गया। फेफड़ों के कैंसर (lung cancer) वाले मरीजों में वैक्सीन लेने वालों की औसत उम्र 37 महीने रही, जबकि बिना वैक्सीन वालों की 20 महीने।
त्वचा कैंसर (melanoma) वाले मरीजों में तो वैक्सीन लेने वालों की औसत आयु का आंकड़ा अभी तक नहीं पहुंचा यानी वे अब भी जीवित हैं। रिसर्चर्स का कहना है कि, यह फर्क इतना बड़ा था कि उन्होंने इसे 5 गुना बेहतर सर्वाइवल रेट कहा।
यह रिसर्च करीब 2,000 कैंसर मरीजों पर की गई थी। सभी मरीज इम्यूनोथेरेपी पर थे यानी ऐसा इलाज जिसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को एक्टिव करके कैंसर कोशिकाओं से लड़ने की क्षमता बढ़ाई जाती है। शोध में पाया गया कि, जिन मरीजों को इम्यूनोथेरेपी शुरू होने के 100 दिनों के भीतर वैक्सीन मिली, उनका शरीर दोगुनी तेजी से बीमारी से लड़ने में सक्षम था। इसके साथ ही कैंसर की कोशिकाएं जल्दी बढ़ने या फैलने की बजाय धीरे-धीरे बढ़ती हैं।
वैज्ञानिकों का मानना है कि, mRNA वैक्सीन सिर्फ वायरस से सुरक्षा नहीं देती, बल्कि यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को और एक्टिव कर देती है। जब ऐसे मरीजों को इम्यूनोथेरेपी दी जाती है, तो उनकी रोग प्रतिरोधक कोशिकाएं (T-cells) पहले से जागी हुई स्थिति में होती हैं। इसी वजह से उनका इलाज ज्यादा असरदार साबित होता है।
एमडी एंडरसन कैंसर सेंटर की प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. एलिसा माद्राजो के अनुसार, mRNA वैक्सीन शरीर के इम्यून सिस्टम को ‘री-ट्रेन’ करती है। यह केवल कोविड से नहीं बचाती, बल्कि कैंसर के खिलाफ शरीर की प्रतिक्रिया को भी मजबूत बनाती है।
रिसर्च में पाया गया कि, जिन मरीजों के ट्यूमर में PD-L1 प्रोटीन का स्तर बहुत कम था यानी जिन्हें आमतौर पर इम्यूनोलॉजिकली कोल्ड ट्यूमर कहा जाता है। उनमें वैक्सीन का असर सबसे ज्यादा देखा गया। इन मरीजों की तीन साल की जीवित रहने की दर वैक्सीन लेने पर 5 गुना बढ़ गई।
हालांकि यह रिसर्च बेहद उत्साहजनक है, लेकिन यह रैंडमाइज्ड क्लिनिकल ट्रायल नहीं है। इसका मतलब है कि, अभी तक यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि वैक्सीन ही इसका सीधा कारण है। रिसर्चर्स ने कहा है कि, अब इसे लेकर नए ट्रायल्स शुरू किए जाएंगे ताकि यह तय किया जा सके कि क्या वैक्सीन को कैंसर इलाज के हिस्से के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
भारत में कैंसर विशेषज्ञों ने भी इस रिपोर्ट को सकारात्मक बताया है। AIIMS दिल्ली के एक वरिष्ठ ऑन्कोलॉजिस्ट ने कहा कि, यह रिसर्च इशारा करता है कि वैक्सीन इम्यून सिस्टम की कार्यप्रणाली को एक नई दिशा दे सकती है। अगर आगे भी परिणाम ऐसे ही रहे, तो यह कैंसर उपचार में एक बड़ी क्रांति साबित हो सकती है।