Mithilesh Yadav
22 Oct 2025
धर्म डेस्क। छठ पूजा केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि यह श्रद्धा, संयम और परिवार की एकजुटता का प्रतीक है। इस दौरान व्रती दिनभर उपवास रखते हैं और चार दिनों तक पूरे नियमों का पालन करते हैं। नहाय-खाय से लेकर संध्या और उषा अर्घ्य तक, हर दिन का अपना महत्व है। इस साल छठ पूजा की शुरुआत 25 अक्टूबर 2025 से होगी। यह महापर्व चार दिनों तक चलता है और इस दौरान सूर्य देव और छठी मैया की विशेष उपासना की जाती है।
छठ पूजा में इस्तेमाल होने वाली हर सामग्री का अपना खास महत्व होता है। तो आइए जानते है पूजा सामग्री।
कम से कम पांच या सात प्रकार के मौसमी फल जैसे केला, नारियल (पानी वाला), सेब, अमरूद और डाभ नींबू आदि रखे जाते हैं। पत्ते लगे हुए पांच या सात गन्ने, जिन्हें घाट पर मंडप बनाने के लिए भी उपयोग किया जाता है। गन्ना समृद्धि और दीर्घायु का प्रतीक माना जाता है। ठेकुआ - यह छठ पूजा का सबसे प्रमुख प्रसाद है, जिसे गेहूं के आटे, गुड़ और घी से बनाया जाता है। चावल के लड्डू, यह भी छठ के विशेष प्रसाद में शामिल है। शकरकंद और सुथनी, ये जमीन के अंदर उगने वाली शुद्ध वस्तुएं हैं। हल्दी का पौधा - हल्दी का पूरा पौधा (गांठ सहित) पूजा में आवश्यक माना जाता है। पान और सुपारी - पूजा के दौरान उपयोग के लिए रखे जाते हैं। अक्षत - साबुत चावल का विशेष महत्व होता है।
इसके अलावा, बांस की दो टोकरी (सूप या दउरा) रखी जाती हैं। एक सूर्यास्त के अर्घ्य के लिए और दूसरी सूर्योदय के अर्घ्य के लिए। बांस या पीतल का सूप प्रसाद और फल रखने के लिए उपयोग किया जाता है। तांबे या कांसे का लोटा सूर्य देव को दूध और जल का अर्घ्य देने के लिए आवश्यक होता है। कच्चा दूध और शुद्ध जल अर्घ्य के लिए उपयोग किया जाता है। दीपक, घी और बाती मिट्टी के दीपक शुभ माने जाते हैं। सिंदूर, रोली और चंदन पूजा के लिए रखे जाते हैं। हवन सामग्री खरना के दिन के लिए जरूरी होती है। कलावा (मौली) पूजा के बंधन के लिए प्रयोग होती है और व्रती के लिए पीला या लाल रंग का नया वस्त्र या साड़ी आवश्यक होती है।
25 अक्टूबर 2025, शनिवार - नहाय-खाय
26 अक्टूबर 2025, रविवार - खरना
27 अक्टूबर 2025, सोमवार - संध्या अर्घ्य
28 अक्टूबर 2025, मंगलवार - उषा अर्घ्य