Manisha Dhanwani
25 Dec 2025
नई दिल्ली। देश की राजनीति में एक बड़ा बदलाव लाने की तैयारी में केंद्र सरकार अब गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तार नेताओं को पद पर बने रहने से रोकने के लिए कानून बनाने जा रही है। इस कानून के दायरे में प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री और राज्य मंत्री सभी आएंगे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बुधवार को लोकसभा में इस संबंध में तीन अहम बिल पेश करेंगे। इनमें प्रस्तावित है कि अगर किसी मंत्री को ऐसा अपराध करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, जिसमें कम से कम 5 साल की सजा का प्रावधान है और वह 30 दिन तक हिरासत में रहता है, तो 31वें दिन उसे पद से हटा दिया जाएगा।
केंद्र सरकार तीन अलग-अलग कानूनी क्षेत्रों में संशोधन करने जा रही है ताकि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों को गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तार होने की स्थिति में स्वचालित रूप से पद से हटाया जा सके। ये तीन बिल हैं:
1. गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज (संशोधन) बिल, 2025
यह बिल केंद्र शासित प्रदेशों के लिए मौजूदा "गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट, 1963" में संशोधन करेगा। अभी तक इस कानून में यह स्पष्ट नहीं था कि गंभीर अपराध में गिरफ्तार मुख्यमंत्री या मंत्री को किस आधार पर हटाया जा सकता है। इस संशोधन के तहत, ऐसे मंत्री या मुख्यमंत्री को, जो 30 दिनों तक हिरासत में रहे, उन्हें 31वें दिन पद से हटाने का स्पष्ट प्रावधान जोड़ा जाएगा।
2. 130वां संविधान संशोधन विधेयक, 2025**
यह बिल संविधान में व्यापक संशोधन करेगा। वर्तमान में संविधान के अनुच्छेद 75 (केंद्र), 164 (राज्य) और 239AA (दिल्ली) में ऐसे कोई प्रावधान नहीं हैं जो यह निर्धारित करें कि किसी गिरफ्तार मंत्री को पद से हटाया जाए। इस विधेयक के माध्यम से इन अनुच्छेदों में संशोधन कर एक कानूनी ढांचा तैयार किया जाएगा ताकि गंभीर अपराध में गिरफ्तार किसी भी मंत्री या मुख्यमंत्री को 30 दिन की हिरासत के बाद पद पर बने रहने से रोका जा सके।
3. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल, 2025**
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में भी ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिससे गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तार मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाया जा सके। प्रस्तावित संशोधन इस अधिनियम की धारा 54 में बदलाव करेगा और गिरफ्तारी की स्थिति में 30 दिन के भीतर पद से हटाने का प्रावधान जोड़ेगा।
अमित शाह इन तीनों बिलों को संसद की संयुक्त समिति (जॉइंट कमिटी) को भेजने का प्रस्ताव भी लोकसभा में रखेंगे ताकि इन्हें विस्तार से समीक्षा के बाद लागू किया जा सके। इस समिति की सिफारिशों के आधार पर बिलों में बदलाव भी संभव है।
बुधवार को संसद में एक और महत्वपूर्ण बिल पेश किया जा सकता है- ऑनलाइन गेमिंग बैन बिल। इस बिल को केंद्र सरकार ने मंगलवार को कैबिनेट से मंजूरी दे दी थी। इसमें ऑनलाइन मनी गेमिंग, भ्रामक विज्ञापन और गेमिंग के लिए लोगों को उकसाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रस्ताव है। नियमों के उल्लंघन पर तीन साल तक की जेल या 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना**, या दोनों हो सकते हैं।
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